जैसलमेर की जड़ है पर्यटन, लेकिन और करने होंगे प्रयास

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धीरज पुरोहित

Jaisalmer: पर्यटन जैसलमेर की पहचान है और उसकी जड़ों में है. पर्यटन की एक बड़ी भूमिका ये दिखाना है कि आप कैसे अतिथियों की आवभगत करते हैं, कैसे संस्कृति का आदान प्रदान करना चाहते हैं, कैसे अपनी नैतिक और सामाजिक ज़िम्मेदारियों को दूसरे लोगों को दिखाते हैं. व्यावसायिक पक्ष को छोड़ दिया जाए तो यही पर्यटन है.

हम जैसलमेर के लोग पर्यटन में तकरीबन 1000 साल से जुड़े हुए हैं. जैसलमेर के लोग सिल्क रूट के समय से पर्यटन से वाकिफ़ हैं. उस दौर में यूरोप, मध्य एशिया, चीन, ग्रीस जैसे देशों से लोग यहां व्यापार के लिए आते थे. उस समय हम उन्हें सुविधाएं उपलब्ध करवाते थे. हम उनके खान-पान और संस्कृति का ध्यान रखते थे.

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आज भी अगर आप देखेंगे तो जैसलमेर की सभ्यता में ऐसी कई चीजें मिलती हैं जो बाहर से जुड़ी हुई हैं. चाहे वो हमारे कपड़े हों, उनमें  आपको सिल्क रूट की चीजें दिखेंगी. इसी प्रकार से हमारे संगीत वाद्य यंत्रों में भी बहुत सारे ऐसे हैं जो मघ्य एशिया या यूनान के लोग सिल्क रूट के समय लेकर आए थे और हमने उन्हें अपनाया.

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इंटरनेट की वजह से एक बड़ा अंतर ये भी दिखने लगा है कि पहले विदेशी पर्यटक यहां ज़्यादा आया करते थे लेकिन अब जैसलमेर में घरेलू पर्यटन भी काफ़ी बढ़ रहा है और देश के अंदर अलग हिस्सों से लोग यहां पर्यटन के लिए आ रहे हैं.

आधुनिक दौर में भी जैसलमेर एक बड़ा पर्यटक केंद्र है. यहां का पहनावा, खान-पान और यहां का जीवन - जो कि थार मरुस्थल का जीवन है - वो अपने आप में बहुत रंगीन है. यहां की प्राकृतिक सुंदरता और वन्य जीवन भी पर्यटकों को काफी आकर्षित करते हैं.

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जैसलमेर अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए मशहूर है
Photo Credit: Dheeraj Purohit

पर्यटन क्षेत्र में सबसे बड़े बदलाव की वजह

आज के दौर में पर्यटन के क्षेत्र में सबसे बड़ा परिवर्तन इंटरनेट से आ रहा है. आज का पर्यटन ई-पर्यटन से जुड़ गया है. लोग यहां पर बनी रील्स देख रहे हैं. इसी तरह वेबपेज हैं, इंटरनेट पर अन्य सामग्रियां हैं. इनके ज़रिए पर्यटन को बहुत मदद मिल रही है. जैसलमेर उनको अपनी तरफ खींच रहा है. तो इंटरनेट की भागीदारी एक सबसे अच्छा परिवर्तन है. इंटरनेट के माध्यम से लोग मुझ जैसे लोगों को जाना पा रहे हैं और संपर्क कर पा रहे हैं.

इंटरनेट की वजह से एक बड़ा अंतर ये भी दिखने लगा है कि पहले विदेशी पर्यटक यहां ज़्यादा आया करते थे लेकिन अब जैसलमेर में घरेलू पर्यटन भी काफ़ी बढ़ रहा है और देश के अंदर अलग हिस्सों से लोग यहां पर्यटन के लिए आ रहे हैं.

हालांकि जिस तरह से हर सिक्के के दो पहलू होते हैं, उसी प्रकार इंटरनेट से एक ओर अगर लोगों तक सूचना जल्दी पहुंच रही है तो इंटरनेट से ऑनलाइन फ्रॉड की घटनाएं भी बढ़ रही हैं. इन दिनों फ़र्ज़ी वेबसाइट, फ़र्ज़ी लिस्टिंग और फ़ेक वीडियो से पर्यटकों को ठगा जा रहा है. इस पर लगाम लगाने की बहुत ज्यादा जरूरत है.

पिछले साल जैसलमेर वेलफेयर सोसाइटी ने तकरीबन 400 से ज्यादा फेक वेबसाइट्स को पकड़ा. उनके बारे में गूगल को शिकायत की गई, और यहां की पुलिस के सहयोग से हमने 400 से ज्यादा फेक वेबसाइट्स को बंद करवाया.

Photo Credit: Dheeraj Purohit

किले के अंदर होम स्टे

जैसलमेर में पर्यटन क्षेत्र में एक दूसरा बड़ा परिवर्तन यह आया है कि यहां कोविड के बाद होम स्टे का चलन बढ़ गया है. कोविड ने यहां के लोगों को सिखाया कि कैसे हम घर से बिज़नेस कर सकते हैं. कोविड के बाद से यहां बाहर बसे बहुत सारे लोग वापस आ गए और उन्होंने बाहर से सीखकर यहां छोटे-छोटे होम स्टे खोल दिए.

इससे भी संस्कृतियों का आदान-प्रदान बढ़ा है. लोग अपने घरों पर पर्यटकों को बहुत मामूली किराए पर लोगों को ठहराकर उन्हें घर का खाना खिला रहे हैं और अपने रहन-सहन के बारे में बता रहे हैं.

जैसलमेर में किले के अंदर तकरीबन 2500 से 3000 लोग रहते हैं. उनके घर भी किले की ही तरह 700-800 साल पुराने हैं. अब उन्हीं घरों को उन्होंने कन्वर्ट और थोड़ा मॉडिफाई कर अपने होम स्टे खोलने शुरू कर दिए हैं.

जैसलमेर के फोर्ट के अंदर भी लोग होम स्टे कर रहे हैं. जैसलमेर को एक लिविंग फोर्ट ऑफ द वर्ल्ड कहा जाता है जहां राजा महाराजाओं के साथ जनता भी रहती रही है.

आज की तारीख में जैसलमेर में किले के अंदर तकरीबन 2500 से 3000 लोग रहते हैं. उनके घर भी किले की ही तरह 700-800 साल पुराने हैं. अब उन्हीं घरों को उन्होंने कन्वर्ट और थोड़ा मॉडिफाई कर अपने होम स्टे खोलने शुरू कर दिए हैं.

जैसलमेर की सांस्कृतिक तौर पर एक समृद्ध पहचान है
Photo Credit: Dheeraj Purohit

संपर्क बढ़ाने की चुनौती

जैसलमेर के लिए पर्यटन के हिसाब से एक बड़ी चुनौती कनेक्टिविटी या संपर्क है. चाहे हवाई संपर्क हो, या रेल संपर्क, जैसलमेर को सरकार की ओर से पर्याप्त सुविधा नहीं मिल रही. जैसलमेर से सिर्फ चार महीने के लिए - अक्टूबर से फ़रवरी तक - हवाई सेवाएं चलती हैं. तो बस कुछ समय के लिए ही पर्यटन के लिए दरवाज़े खोल दिए जाते हैं और उसमें भी नवंबर-दिसंबर में टिकटों की कीमतें बहुत ज़्यादा हो जाती हैं. हालत ये हो जाती है कि सारी ट्रिप में जितना ख़र्च होता है उसका आधा सिर्फ हवाई यात्रा में ख़र्च हो जाता है.

हमने कई बार यहां विरोध प्रदर्शन कर बताने की कोशिश की है कि जैसलमेर को सिर्फ़ पर्यटन की ही दृष्टि से नहीं देखा जाना चाहिए. यहां सेना और बीएसएफ़ के लोग भी रहते हैं, फिल्मों की भी शूटिंग हो रही है, शादियां भी हो रही हैं. ऐसे में अगर फ़्लाइट और रेलवे कनेक्टिविटी बढ़ती है तो इससे जैसलमेर में पर्यटन को निश्चित रूप से और बढ़ावा मिलेगा.

परिचयः धीरज पुरोहित जैसलमेर स्थित एक उद्यमी हैं जो सामाजिक सरोकारों से जुड़े मुद्दों से सक्रियता के साथ जुड़े रहते है. वह राजस्थान में पर्यटन के विकास तथा पर्यटन से जुड़े मुद्दों को लेकर मुखरता से अपनी राय रखते रहे हैं. उन्हें इस वर्ष मरू महोत्सव 2025 में मिस्टर डेज़र्ट का ख़िताब मिला जो स्थानीय संस्कृति को बढ़ावा दिए जाने के उद्देश्य से दिया जाने वाला एक ख़िताब है.

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं.

(अपूर्व कृष्ण के साथ बातचीत पर आधारित लेख)

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