Pictures: 10 लाख से बनी राजस्थान की ये अनूठी झोपड़ी, पंखा-AC के बिना भी नहीं लगती गर्मी, खासियतें जान हो जाएंगे दंग

रजवाड़ों और रियासतों की धरती राजस्थान अपनी वैभवशाली धरोहरों के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है. लेकिन बीतते समय के साथ प्रदेश में कई ऐसी चीजें भी बनी है जो अपने आप में बेहद रोचक है. अब इस तस्वीर को लें, तस्वीर में दिख रहा झोपडीनुमा यह मकान बाहर में देखने में भले ही साधारण नजर आ रहा हो. लेकिन इस झोपड़ी की अंदर की खासियतें जानेंगे तो दंग रह जाएंगे. झोपड़ी के अंदर ऐसी व्यवस्था की गई है तो इसे एक टूरिस्ट स्पॉट के रूप में डेवलप करती है. आइए तस्वीरों के जरिए जानते ही इसकी पूरी कहानी.

  • Bansi Paharpur Unique hut Images: तस्वीर में दिख रही यह झोपड़ी बाहर में देखने में दूसरी झोपड़ियों से अलग दिखती है. लेकिन इस झोपड़ी की अंदर की खासियतें जानेंगे तो दंग रह जाएंगे. तीन साल पहले इस झोपड़ी का निर्माण 10 लाख रुपए की लागत में हुआ था. झोपड़ी के अंदर ऐसी व्यवस्था की गई है तो इसे एक टूरिस्ट स्पॉट के रूप में डेवलप करती है. आइए तस्वीरों के जरिए जानते ही इसकी पूरी कहानी. 
रिपोर्ट- ललितेश कुशवाहा (भरतपुर)
    Bansi Paharpur Unique hut Images: तस्वीर में दिख रही यह झोपड़ी बाहर में देखने में दूसरी झोपड़ियों से अलग दिखती है. लेकिन इस झोपड़ी की अंदर की खासियतें जानेंगे तो दंग रह जाएंगे. तीन साल पहले इस झोपड़ी का निर्माण 10 लाख रुपए की लागत में हुआ था. झोपड़ी के अंदर ऐसी व्यवस्था की गई है तो इसे एक टूरिस्ट स्पॉट के रूप में डेवलप करती है. आइए तस्वीरों के जरिए जानते ही इसकी पूरी कहानी. रिपोर्ट- ललितेश कुशवाहा (भरतपुर)
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  • यह झोपड़ी राजस्थान के भरतपुर जिले में है. भरतपुर में बंसी पहाड़पुर नामक एक जगह है. जो सफेद पत्थर के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है. यहां तीन साल पहले जब इस झोपड़ी का निर्माण शुरू हुआ तो आस-पास के लोग इसके मालिक पर हंसते थे. लेकिन आज यह झोपड़ी बाहर से आने वाले लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.
    यह झोपड़ी राजस्थान के भरतपुर जिले में है. भरतपुर में बंसी पहाड़पुर नामक एक जगह है. जो सफेद पत्थर के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है. यहां तीन साल पहले जब इस झोपड़ी का निर्माण शुरू हुआ तो आस-पास के लोग इसके मालिक पर हंसते थे. लेकिन आज यह झोपड़ी बाहर से आने वाले लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.
  • इस झोपड़ी के मालिक ओमप्रकाश शर्मा है. जिन्होंने अपने फार्म हॉउस पर VIP गेस्ट के ठहरने के लिए झोंपड़ी को कुछ इस तरह मॉडिफाई किया है जिसकी बदौलत यह झोपड़ी गर्मियों के दिनों में सोशल मीडिया पर काफ़ी वायरल हो रही है.
    इस झोपड़ी के मालिक ओमप्रकाश शर्मा है. जिन्होंने अपने फार्म हॉउस पर VIP गेस्ट के ठहरने के लिए झोंपड़ी को कुछ इस तरह मॉडिफाई किया है जिसकी बदौलत यह झोपड़ी गर्मियों के दिनों में सोशल मीडिया पर काफ़ी वायरल हो रही है.
  • यहाँ से गुजरने वाले आम राहगीर भी वहाँ रुककर एक सेल्फी लेने का मौका कतई नहीं चूकते, वहीं यह झोंपड़ी इसमें रुकने वाले लोगों को तेज गर्मी एवं धूप से बचाती है. जिससे गर्मियों के दिनों में इसमें आसानी से समय गुजारा जा सकता है.
    यहाँ से गुजरने वाले आम राहगीर भी वहाँ रुककर एक सेल्फी लेने का मौका कतई नहीं चूकते, वहीं यह झोंपड़ी इसमें रुकने वाले लोगों को तेज गर्मी एवं धूप से बचाती है. जिससे गर्मियों के दिनों में इसमें आसानी से समय गुजारा जा सकता है.
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  • ओमप्रकाश शर्मा ने बताया कि इस तरह की झोपड़ी बनाने का विचार सोशल मीडिया से आया था. इसके निर्माण में लाखों रुपए का खर्च आने के साथ यह दो माह में बनकर कर तैयार हुई थी. यह मॉडिफाई झोपड़ी आसपास के क्षेत्र में आकर्षण का केंद्र बनी हुई है.
    ओमप्रकाश शर्मा ने बताया कि इस तरह की झोपड़ी बनाने का विचार सोशल मीडिया से आया था. इसके निर्माण में लाखों रुपए का खर्च आने के साथ यह दो माह में बनकर कर तैयार हुई थी. यह मॉडिफाई झोपड़ी आसपास के क्षेत्र में आकर्षण का केंद्र बनी हुई है.
  • फार्म हॉउस पर रह रहे पंकज शर्मा ने बताया कि उनके बड़े भाई ने यह झोपड़ी सोशल मीडिया पर देखने के बाद मथुरा की ओर जाकर देखा. उसके बाद उनके मन में इस तरह की झोपड़ी बनाने का विचार आया. उनके द्वारा करीब 3 साल पहले मथुरा से कारीगर बुलाकर इस झोपड़ी का निर्माण करवाया था और इस झोपड़ी को बनाने में करीब दो माह का समय लगा था.
    फार्म हॉउस पर रह रहे पंकज शर्मा ने बताया कि उनके बड़े भाई ने यह झोपड़ी सोशल मीडिया पर देखने के बाद मथुरा की ओर जाकर देखा. उसके बाद उनके मन में इस तरह की झोपड़ी बनाने का विचार आया. उनके द्वारा करीब 3 साल पहले मथुरा से कारीगर बुलाकर इस झोपड़ी का निर्माण करवाया था और इस झोपड़ी को बनाने में करीब दो माह का समय लगा था.
  • इस झोंपड़ी को इस तरह डिजाइन करवाया है कि इसमें हर सुख-सुविधाओं का ध्यान रखा गया है. जहाँ आम झोपड़ी में लोग छत की मोटाई 6 इंच से 12 इंच तक रखते हैं वहीं इस झोंपड़ी की मोटाई डेढ़ से दो फुट तक रखी गई है जो की गर्मियों के दिनों में इन्सुलेशन का कार्य करती है एवं बिजली गुम हो जाने पर भी कई घंटों तक गर्मी का अहसास नहीं होता.
    इस झोंपड़ी को इस तरह डिजाइन करवाया है कि इसमें हर सुख-सुविधाओं का ध्यान रखा गया है. जहाँ आम झोपड़ी में लोग छत की मोटाई 6 इंच से 12 इंच तक रखते हैं वहीं इस झोंपड़ी की मोटाई डेढ़ से दो फुट तक रखी गई है जो की गर्मियों के दिनों में इन्सुलेशन का कार्य करती है एवं बिजली गुम हो जाने पर भी कई घंटों तक गर्मी का अहसास नहीं होता.
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  • झोपड़ी के मालिक ने बताया कि इस झोपड़ी को घास-पूस (long grass)से सिलेक्टेड प्रोसेस के बाद तैयार किया जाता है, जहाँ पहले हरी घास को काटकर सुखाया जाता है एवं उसके बाद सुखाकर बासों से फ्रेम बनाकर झोंपड़ी को आकार दिया जाता है.
    झोपड़ी के मालिक ने बताया कि इस झोपड़ी को घास-पूस (long grass)से सिलेक्टेड प्रोसेस के बाद तैयार किया जाता है, जहाँ पहले हरी घास को काटकर सुखाया जाता है एवं उसके बाद सुखाकर बासों से फ्रेम बनाकर झोंपड़ी को आकार दिया जाता है.
  • झोपडी को ईंट एवं पत्थर से बने हुए स्ट्रक्चर पर लगाया जाता है. बाद में इसमें AC पंखा एवं मंदिर का निर्माण करवाया गया है . करीब इसके निर्माण के साथ इसमें मौजूद सभी वस्तुओं को मिलाकर 10 लाख रुपए की कीमत में यह झोपड़ी तैयार हुई थी.
    झोपडी को ईंट एवं पत्थर से बने हुए स्ट्रक्चर पर लगाया जाता है. बाद में इसमें AC पंखा एवं मंदिर का निर्माण करवाया गया है . करीब इसके निर्माण के साथ इसमें मौजूद सभी वस्तुओं को मिलाकर 10 लाख रुपए की कीमत में यह झोपड़ी तैयार हुई थी.
  • हालांकि इस झोपड़ी को देखकर आसपास के गांव में लोगों के द्वारा इस प्रकार की झोपड़ी का निर्माण करवाया जा रहा है. वहीं अगर जानकारों की मानें तो बंसी पहाड़पुर पहाड़ी इलाका होने से यहाँ टेम्प्रेचर अधिक रहता है अगर इस तरह का तापमान लगातार बढ़ता रहा तो यहाँ पर आगामी दिनों में इसी तरह की काफ़ी झोंपड़ी देखने को मिलेंगी जिससे मजदूरों के रोजगार में वृद्धि होगी.
    हालांकि इस झोपड़ी को देखकर आसपास के गांव में लोगों के द्वारा इस प्रकार की झोपड़ी का निर्माण करवाया जा रहा है. वहीं अगर जानकारों की मानें तो बंसी पहाड़पुर पहाड़ी इलाका होने से यहाँ टेम्प्रेचर अधिक रहता है अगर इस तरह का तापमान लगातार बढ़ता रहा तो यहाँ पर आगामी दिनों में इसी तरह की काफ़ी झोंपड़ी देखने को मिलेंगी जिससे मजदूरों के रोजगार में वृद्धि होगी.
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  • बंसी पहाड़पुर की यह झोपड़ी बाहर से देखने में कुछ इस तरह की लगती है.
    बंसी पहाड़पुर की यह झोपड़ी बाहर से देखने में कुछ इस तरह की लगती है.
  • झोपड़ी के बाहर एक चबुतरा भी बनाया गया है. जहां चेयर लगाकर बैठने की व्यवस्था है.
    झोपड़ी के बाहर एक चबुतरा भी बनाया गया है. जहां चेयर लगाकर बैठने की व्यवस्था है.
  • झोपड़ी के अंदर पलंग, सोफा सहित सुख-सुविधाओं की अन्य सभी चीजें मौजूद है.
    झोपड़ी के अंदर पलंग, सोफा सहित सुख-सुविधाओं की अन्य सभी चीजें मौजूद है.