जैसलमेर में मिला आदिमानव के होने का प्रमाण, देखें तस्वीरें

जैसलमेर में आदिमानव की मौजूदगी के हालिया प्रमाणों की खोज एक महत्वपूर्ण खोज है जो इस क्षेत्र के प्राचीन इतिहास की हमारी समझ को गहराई से बढ़ाती है. यहां पाए गए पत्थर के औजार और हथियार लगभग 5 लाख साल पुराने हैं. ये औजार और हथियार आदिमानव द्वारा शिकार, भोजन इकट्ठा करने और अन्य कार्यों के लिए उपयोग किए जाते थे. इन खोजों से पता चलता है कि जैसलमेर में आदिमानव एक विकसित संस्कृति का निर्माण करने में सक्षम थे.

  • करीब 4 साल पहले 15 लाख साल पुराने पत्थरों के औजार मिले थे. वही पिछले साल भी तेजुआ गांव में इस तरह के हथियार मिले हैं जो आदिमानव सभ्यताओं के विकास को दर्शाते हैं.
    करीब 4 साल पहले 15 लाख साल पुराने पत्थरों के औजार मिले थे. वही पिछले साल भी तेजुआ गांव में इस तरह के हथियार मिले हैं जो आदिमानव सभ्यताओं के विकास को दर्शाते हैं.
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  • हाल ही में जैसलमेर की पांच अलग अलग लोकेशन पर के साथ काक नदी से लगते किनारे की पहाड़ियों में आदि मानव के प्रमाण मिले हैं. हथियार और औजार करीब 5 लाख साल पहले के हैं. इस खोज श्रेय जैसलमेर के मूल निवासी वरिष्ठ पुरातत्वविद व आदिमानव सभ्यता के विशेषज्ञ डॉ. नारायण व्यास को जाता है.
    हाल ही में जैसलमेर की पांच अलग अलग लोकेशन पर के साथ काक नदी से लगते किनारे की पहाड़ियों में आदि मानव के प्रमाण मिले हैं. हथियार और औजार करीब 5 लाख साल पहले के हैं. इस खोज श्रेय जैसलमेर के मूल निवासी वरिष्ठ पुरातत्वविद व आदिमानव सभ्यता के विशेषज्ञ डॉ. नारायण व्यास को जाता है.
  • डॉ. नारायण व्यास को कुछ साल पहले भी यहां और आस-पास के इलाकों में पुराने पत्थर की कुल्हाड़ी और स्क्रेपर आदि से अंदाजा लगाया जा सकता है कि आदि मानव सभ्यता के विकास क्रम में जैसलमेर मौजूद रहा है.
    डॉ. नारायण व्यास को कुछ साल पहले भी यहां और आस-पास के इलाकों में पुराने पत्थर की कुल्हाड़ी और स्क्रेपर आदि से अंदाजा लगाया जा सकता है कि आदि मानव सभ्यता के विकास क्रम में जैसलमेर मौजूद रहा है.
  • जैसलमेर में हाल ही में मिली पाषाण कालीन अवशेषों की खोज से यह स्पष्ट हो गया है कि इस क्षेत्र में आदिमानव का निवास लाखों साल पहले से रहा है. यह खोज वरिष्ठ पुरातत्वविद डॉ. नारायण व्यास के नेतृत्व में की गई है.
    जैसलमेर में हाल ही में मिली पाषाण कालीन अवशेषों की खोज से यह स्पष्ट हो गया है कि इस क्षेत्र में आदिमानव का निवास लाखों साल पहले से रहा है. यह खोज वरिष्ठ पुरातत्वविद डॉ. नारायण व्यास के नेतृत्व में की गई है.
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  • डॉ. नारायण व्यास अधीक्षण पुरातत्वविद् से रिटायर हैं. वे मूल रूप से जैसलमेर से है इसलिए जैसलमेर से उन्हें विशेष लगाव है.वे भोपाल में रहते हैं, उन्होंने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, भारत सरकार के तहत 37 साल तक नौकरी की तथा जनवरी 2009 में भोपाल से रिटायर हुए. उन्होंने बताया कि अपनी नौकरी के दौरान मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात, दमन-दीव, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, हरियाणा आदि जगहों पर नौकरी के दौरान जाने का मौका मिला
    डॉ. नारायण व्यास अधीक्षण पुरातत्वविद् से रिटायर हैं. वे मूल रूप से जैसलमेर से है इसलिए जैसलमेर से उन्हें विशेष लगाव है.वे भोपाल में रहते हैं, उन्होंने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, भारत सरकार के तहत 37 साल तक नौकरी की तथा जनवरी 2009 में भोपाल से रिटायर हुए. उन्होंने बताया कि अपनी नौकरी के दौरान मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात, दमन-दीव, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, हरियाणा आदि जगहों पर नौकरी के दौरान जाने का मौका मिला
  • यह खोज राजस्थान के प्राचीन इतिहास और संस्कृति के लिए महत्वपूर्ण है. यह खोज यह भी बताती है कि जैसलमेर का इतिहास केवल कुछ सौ या हजार साल पुराना नहीं है, बल्कि लाखों साल पुराना है.
    यह खोज राजस्थान के प्राचीन इतिहास और संस्कृति के लिए महत्वपूर्ण है. यह खोज यह भी बताती है कि जैसलमेर का इतिहास केवल कुछ सौ या हजार साल पुराना नहीं है, बल्कि लाखों साल पुराना है.
  • डॉ. व्यास ने यह भी बताया कि जैसलमेर में आदिमानव की गुफाएं भी मौजूद रही होंगी. हालांकि, ये गुफाएं भूगर्भीय हलचल और बरसाती पानी के कारण नष्ट हो चुकी हैं.
    डॉ. व्यास ने यह भी बताया कि जैसलमेर में आदिमानव की गुफाएं भी मौजूद रही होंगी. हालांकि, ये गुफाएं भूगर्भीय हलचल और बरसाती पानी के कारण नष्ट हो चुकी हैं.
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  • डॉ. व्यास ने बताया कि इस खोज से यह पता चलता है कि जैसलमेर में आदिमानव का विकास क्रम कई लाखों सालों तक चला. पहले यहां समुद्र था, फिर रेगिस्तान और जंगल. आदिमानव ने इन सभी परिस्थितियों में अपना जीवनयापन किया.
    डॉ. व्यास ने बताया कि इस खोज से यह पता चलता है कि जैसलमेर में आदिमानव का विकास क्रम कई लाखों सालों तक चला. पहले यहां समुद्र था, फिर रेगिस्तान और जंगल. आदिमानव ने इन सभी परिस्थितियों में अपना जीवनयापन किया.
  • खोज के दौरान काक नदी के किनारे की पहाड़ियों में करीब 5 लाख साल पुराने पत्थर के औजार और हथियार मिले हैं. इनमें कुल्हाड़ी, स्क्रैपर, भाले और चाकू शामिल हैं. इन हथियारों का उपयोग आदिमानव शिकार, भोजन संग्रह और आत्मरक्षा के लिए करते थे.
    खोज के दौरान काक नदी के किनारे की पहाड़ियों में करीब 5 लाख साल पुराने पत्थर के औजार और हथियार मिले हैं. इनमें कुल्हाड़ी, स्क्रैपर, भाले और चाकू शामिल हैं. इन हथियारों का उपयोग आदिमानव शिकार, भोजन संग्रह और आत्मरक्षा के लिए करते थे.