राजस्थान के इस गांव में जैविक खेती के गुर सीखने आते है विदेशी शोधार्थी

आज के आधुनिक युग में जहां खेती बाड़ी के कार्य मशीन से किए जा रहे हैं. अपने देश के लोग विदेशी परंपरा की तरह जीवनयापन करने के आदी बनते जा रहे हैं. वही विदेशी सैलानियों को भारतीय संस्कृति के साथ साथ जैविक कृषि के गुड़ सीखने के लिए विगत 17 वर्षों से डूंगरपुर के लीलवासा ग्राम पंचायत क्षेत्र के चुंडियावाड़ा गांव में आ रहे हैं.

  • विगत एक सप्ताह से फ्रांस, स्वीडन व इंग्लैंड से 4 विदेशी ' पामणे ' ग्रामीण अंचलों में भ्रमण कर यहां की संस्कृति का आनंद ले रहे हैं, तो वही देवी मंदिरों में दर्शनलाभ के साथ सनातन धर्म की और भी अग्रसर हो रहे हैं.
    विगत एक सप्ताह से फ्रांस, स्वीडन व इंग्लैंड से 4 विदेशी ' पामणे ' ग्रामीण अंचलों में भ्रमण कर यहां की संस्कृति का आनंद ले रहे हैं, तो वही देवी मंदिरों में दर्शनलाभ के साथ सनातन धर्म की और भी अग्रसर हो रहे हैं.
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  • विदेशी युवा हमारी परम्पराओं से जुड़ते जा रहे हैं. यहां जिक्र जैविक खेती का है. खास यह कि चुण्डियावाड़ा गांव में आर्गेनिक खेती और पशुपालन के देशी गुड़ सीखने के लिए विदेशियों के आने का सिलसिला जारी है.
    विदेशी युवा हमारी परम्पराओं से जुड़ते जा रहे हैं. यहां जिक्र जैविक खेती का है. खास यह कि चुण्डियावाड़ा गांव में आर्गेनिक खेती और पशुपालन के देशी गुड़ सीखने के लिए विदेशियों के आने का सिलसिला जारी है.
  • विदेशी मेहमान स्टीवन व थॉमस ने बताया कि भारत की प्रकृति बहुत ही अच्छी है. गांवों में रहकर जैविक खेती, पशुओं का दूध दोहना, चारा डालना, फसल काटना आदि सब काम कर रहे है.
    विदेशी मेहमान स्टीवन व थॉमस ने बताया कि भारत की प्रकृति बहुत ही अच्छी है. गांवों में रहकर जैविक खेती, पशुओं का दूध दोहना, चारा डालना, फसल काटना आदि सब काम कर रहे है.
  • भारतीय व्यंजन बनाती विदेशी शोधार्थी
    भारतीय व्यंजन बनाती विदेशी शोधार्थी
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  • भारतीय संस्कृति और जैविक खेती से प्रभावित विदेशी शोधार्थी यहां विगत 17 वर्षों से आ रहे हैं.
    भारतीय संस्कृति और जैविक खेती से प्रभावित विदेशी शोधार्थी यहां विगत 17 वर्षों से आ रहे हैं.