In pics: मुहर्रम महीने के 10वें दिन इमाम हुसैन की शहादत में निकाला ताजिया, गम के साथ दी विदाई
Muharram 2025: इस्लामी कैलेंडर की शुरुआत मुहर्रम महीने से होती है, जिसे सबसे पाक महीनों में गिना जाता है. इस माह की खास बात यह है कि इसे सब्र, कुर्बानी और सच्चाई की मिसाल के रूप में याद किया जाता है.मुहर्रम की 10वीं तारीख को यौमे-ए-अशूरा कहा जाता है, जो बेहद अहम दिन होता है. इसी दिन हज़रत इमाम हुसैन ने हक और इंसाफ के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी थी. उनकी यह कुर्बानी आज भी इंसानियत, सब्र और ईमानदारी की मिसाल बनी हुई है.
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राजस्थान के विभिन्न हिस्सों में भी मुहर्रम की दसवीं तारीख यानी आशूरा का दिन दिल में गम और आंखों में आंसू लेकर मनाया गया. बीकानेर में मुहर्रम की नौवीं तारीख को सबसे दुखद मानी जाने वाली आशूरा की रात को मातम, मातम और दुआओं का सिलसिला चला.। जिसमें कर्बला में इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के रोजे (निर्वाण स्थल) की हूबहू प्रतिकृति बनाकर शहादत को याद किया गया.