जयपुर से खाटूश्याम तक घाट-घाट पर दिखी छठ पूजा की रौनक, हर तस्वीर बयां कर रही है आस्था की कहानी
जयपुर से खाटूश्याम तक हजारों छठ व्रतियों ने निराहार (बिना कुछ खाए-पीए) और निर्जल (बिना पानी पिए) कठिन व्रत रखा, जो उनकी दृढ़ आस्था को दर्शाता है.दोनों शहरों के घाटों, तालाबों और अस्थाई जल स्रोतों को रंग-बिरंगी रोशनी और फूलों से भव्य रूप से सजाया गया, जिससे एक दिव्य वातावरण बन गया.
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जयपुर से खाटूश्याम तक हजारों छठ व्रतियों ने निराहार (बिना कुछ खाए-पीए) और निर्जल (बिना पानी पिए) कठिन व्रत रखा, जो उनकी दृढ़ आस्था को दर्शाता है. ( PTI) -
दोनों शहरों से लेकर विभिन्न घाटों, तालाबों और अस्थाई जल स्रोतों को रंग-बिरंगी रोशनी और फूलों से भव्य रूप से सजाया गया, जिससे एक दिव्य वातावरण बन गया. ( PTI) -
घाट-घाट पर छठ मईया के पारंपरिक लोकगीत गूंजते रहे, जिसने पूरे माहौल को भक्तिमय और उल्लासपूर्ण बना दिया. ( PTI) -
व्रतियों ने छठ पूजा की सामग्री, विशेषकर ठेकुआ और मौसमी फलों को पारंपरिक बांस की टोकरियों (दौरे) में रखकर घाटों तक पहुंचाया. ( PTI) -
इसके बाद कल यानी 27 अक्तूबर को अस्ताचलगामी डूबते हुए सूर्य को पहला अर्घ्य देने के लिए सैंकड़ों लोग पानी में खड़े हुए, यह दृश्य सूर्य देव के प्रति गहरी श्रद्धा को व्यक्त करता है. ( PTI) -
इसके बाद आज यानी मंगलवार को 36 घंटे के निर्जला व्रत करते हुए व्रतियों ने रात भर घाट पर या पास ही रुककर अगले दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के लिए प्रतीक्षा की, जो उनके धैर्य और भक्ति की पराकाष्ठा है. ( PTI) -
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