यहां रखा है जैसलमेर के इतिहास का नायाब 'खजाना'! कुछ ही पर्यटक कर पाते है दीदार
पर्यटन के लिहाज से स्वर्णनगरी की गिनती संपन्न जिलो में होती है. स्वर्णनगरी में कलात्मक सुंदरता के साथ-साथ समृद्ध इतिहास भी मौजूद है. जैसाण के चमकते रेगिस्तान से लेकर धार्मिक आस्था, इतिहास, संस्कृति एवं सभ्यता से जुड़े कई स्थल हैं. और इसके साक्ष्य जैसलमेर के एक मात्र राजकीय संग्रहालय में संरक्षित कर रखे गए हैं. ताकि जैसलमेर आने वाला हर एक पर्यटक संग्रहालय में पहुंचकर सबसे पहले यहां के प्राचीन इतिहास व पौराणिक वस्तुओ व स्थलों की जानकारी से दो चार हो सके.
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राजकीय संग्रहालय में 1971 के भारत-पाक युद्ध का साक्षी लड़ाकू विमान आज भी मौजूद है. इस लड़ाकू विमान ने पाकिस्तान के टैंकों को मिनटों में ही नेस्तनाबूद कर दिया था. 1971 के युद्ध की विजयी पताका लहराता यह लड़ाकू विमान राजकीय संग्रहालय में प्रदर्शित किया हुआ है.
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इस संग्रहालय में जीवाश्म, खनिज, पाषाणकालीन हथियार, ताम्रपत्र, शिलालेख, प्राचीन सिक्के, लोककला सामग्री, काष्ठ हस्तशिल्प कला एवं प्राचीन प्रतिमाओं को प्रदर्शित करके रखा हुआ है.
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इस संग्रहालय में गौ रक्षक पाबूजी की पड़ का 5 मीटर लम्बे व 1.5 मीटर चौड़े कपड़े पर चित्रांकन कर प्रदर्शित किया हुआ है.
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18 वीं व 19 वीं शताब्दी के वक्त जैसलमेर रियासत कालीन 6 अखेशाही सिक्के भी यहां रखे हुए हैं.
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पाषाण काल के औजार व हथियारों का विशेष संग्रह भी यहां रखा गया है. यह जैसलमेर और आदिमानव काल का संबंध बताते हैं.
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इन दो शो-केसों में विभिन्न प्रकार के जीवाश्म यथा फॉसिल वुड, फासिललाईफरोड्स, अम्युनाईट, अलवोयोलिना, ऑस्ट्रिया, क्यूनोईडल इत्यादि को वैज्ञानिक तरीके से प्रदर्शित किया गया है.
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मैथुनाकृति : जैसलमेर के लोदरवा से प्राप्त यह प्रतिमा मानव-पशु द्वारा मैथुन क्रिया का अंकन है. यह 10वीं और 11वीं शताब्दी का है.
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नवग्रह फलक: जैसलमेर की चुनरी गांव से प्राप्त खंडित फलक में 5 ग्रहों का अंकन है. यह 9वीं शताब्दी का है.
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अर्धनारीश्वर: जैसलमेर के लोदरवा से प्राप्त अर्धनारीश्वर का खंडित प्रस्तर प्रतिमा में शिव पार्वती का अंकन है. यह 10-11वीं शताब्दी का है.
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इस संग्रहालय में विभिन्न प्रकार के पौराणिक वाद्य यंत्र में प्रदर्शित किए गए हैं.
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