जानें चम्बल किनारे बसे इस मंदिर की रोचक बातें |Photos
छोटी काशी के नाम से मशहूर पर्यटन नगरी बूंदी में केंद्र सरकार की स्वदेश भारत दर्शन योजना के तहत पर्यटन को पंख लगेंगे. इस योजना के तहत बूंदी शहर के सभी पर्यटन स्थलों और जिले के चंबल घाट पर बने केशवराय भगवान के मंदिर को विकसित करने की कवायद चल रही है. (Salim Ali)
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज वर्चुअल केशवराय भगवान मंदिर में स्वदेश भारत दर्शन योजना के तहत विभिन्न कार्यों का शिलान्यास किया है. इसके बाद पर्यटन स्थलों को चार चांद लगेंगे. सीमित संसाधनों पर मौजूद यह पर्यटन स्थल विश्व के मानचित्र पर अपना नाम दर्ज करवाएगा.(सलीम अली)
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योजना के प्रथम चरण में केशवरायपाटन के 5 किलोमीटर तक के क्षेत्रो को चयन किया गया. केशवरायपाटन मंदिर के पास से चंबल नदी निकल रही है. जहां हर वर्ष कार्तिक मास में हजारों की तादाद में श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं और स्नान करते हैं.
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इस योजना के तहत ऐतिहासिक घाट, पार्किंग, बैठने के लिए उच्चतम व्यवस्था, बड़े-बड़े द्वार, मंदिर को पूरी तरह से विकसित किया जाएगा. क्योंकि केशव राय भगवान का मंदिर पूरे राजस्थान में कहीं नहीं है और इस मंदिर को विकसित कर देश के बड़े मंदिरों में शामिल करने का प्लान है.
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बूंदी जिले में विशाल तारागढ़ का किला, कुंड बावड़िया, तालाब, हवेलिया, झरोखे, जलप्रपात, ऐतिहासिक मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, विश्व की सबसे बड़ी रॉक पेंटिंग, विश्व की सबसे पुरानी चित्र शैली सहित विभिन्न प्रकार के विरासत मौजूद है. बूंदी को बावड़ी का शहर भी कहा जाता है. यह सबसे खूबसूरत बावड़ी रानी जी की बावड़ी है जबकि ऐतिहासिक धरोहर 84 खभों की छतरी है.
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स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि केशवरायपाटन की धरती आध्यात्मिकता की धरती है. यहां केशवरायजी के मंदिर के अलावा मुनि सुव्रतनाथजी दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र, जम्बू मार्गेश्वर मंदिर, राज-राजेश्वर महादेव, चार भुजानाथ जी मंदिर तथा मात्रा-हनुमान मंदिर भी हैं. केशवरायटपान के लोग अब पंच कोसी परिक्रमा पथ की मांग कर रहे हैं. इसके लिए भी अध्ययन करवाया जाएगा.
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स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि केशवरायपाटन की धरती आध्यात्मिकता की धरती है. यहां केशवरायजी के मंदिर के अलावा मुनि सुव्रतनाथजी दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र, जम्बू मार्गेश्वर मंदिर, राज-राजेश्वर महादेव, चार भुजानाथ जी मंदिर तथा मात्रा-हनुमान मंदिर भी हैं. केशवरायटपान के लोग अब पंच कोसी परिक्रमा पथ की मांग कर रहे हैं. इसके लिए भी अध्ययन करवाया जाएगा.
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राज्य सरकार ने प्रदेश के 20 मन्दिरों और आस्था धामों के विकास कार्यों के लिए आगामी वर्ष में 300 करोड़ रुपये की राशि का प्रावधान किया है.
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