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Sita Mata Wildlife Sanctuary: माता सीता ने जहां काटा वनवास, चित्तौड़गढ़ में है वो सेंचुरी, यहीं हुआ था लव का जन्म

Sitamata Wildlife Sanctuary Chittorgarh: चित्तौड़गढ़-प्रतापगढ़ क्षेत्र का सीता माता अभ्यारण काफी महत्व रखता है. रामायण काल से यहां का इतिहास जुड़ा होने के कारण लोगों का इस क्षेत्र से काफी जुड़ाव है. इसी को लेकर राजस्थान सरकार ने यहां 422.95 वर्ग किलोमीटर के वन क्षेत्र की जैव विविधता एवं भू-संरचना के महत्व को ध्यान में रखते हुए 2 जनवरी 1979 में इस वन क्षेत्र को सीता माता वन्य जीव अभ्यारण घोषित किया.

  • किवंदतियों के अनुसार, रामायण काल के दौरान जब भगवान राम ने माता सीता को वनवास दिया तो माता सीता ने अपने वनवास के दिनों को इसी जंगल में व्यतीत किया.
  • स्थानीय लोगों की मान्यताए है कि वनवास के दौरान माता सीता ने इस जंगल में ऋषि वाल्मीकि आश्रम में कुछ दिन बिताए और उनके लव-कुश का जन्म भी सीता माता अभयारण में होना बताया है.
  • ऐसा माना जाता है कि माता सीता अंततः जब भूगर्भ में समा गयी थीं, वह स्थान भी इसी वन क्षेत्र में है.
  • सीता माता सेंचुरी में 12 बीघा में फैला का बरगद का पेड़ आज भी मौजूद है.
  • बताया जाता है कि सीता माता अभ्यारण में वह स्थान भी है जहां लव और कुश ने अश्वमेघ के घोड़ों को पकड़ा था और राम को युद्ध के लिए ललकारा था.
  • ये भी अवधारणा है कि वह पेड़ जिस पर हनुमानजी को लव और कुश ने बांधा था, आज भी इस सीता माता अभ्यारण में मौजूद है.
  • इतना ही नहीं, लव और कुश नामक दो बावड़ियां हैं जिसमें आज भी ठंडा और गर्म जल रहता है.
  • यहां पर हर साल सीता माता के मेले का भी आयोजन होता है. इस मेले में बड़ी संख्या में लोग आते हैं.
  • सीता माता अभ्यारण में एक ऊंचे पहाड़ पर सीता माता का मंदिर है. अभ्यारण में सीता बाड़ी भारत का एकमात्र मंदिर हैं, जिसमें हिन्दू देवी सीता माता की एकल प्रतिमा है.
  • किवंदतियों के अनुसार, जिस समय माता सीता धरती में समाई तब यह पहाड़ दो हिस्सों में फट गया था. लोग इस स्थान को पवित्र मानते हैं. यहां हर साल ज्येष्ठ माह की अमावस्या को मेला आयोजित होता है.
  • बड़े क्षेत्र में फैले सीता माता अभ्यारण में कई वृक्षों, लताओं और झाड़ियों की बेशुमार प्रजातियां हैं. यह इस अभयारण्य की खास विशेषता है.
  • अनेकों दुर्लभ औषधि वृक्ष और अनगिनत जड़ी-बूटियां अनुसंधानकर्ताओं के लिए शोध का विषय है. इस वन क्षेत्र में उड़न गिलहरी भी पाई जाती है, जिसके दर्शन के लिए दूर दराज से लोग यहां आते हैं.