जापान की इस महिला को भाया राजस्थान, मायूमी से मधु बनकर बोलीं- 'ये मेरा दूसरा घर'
राजस्थान के लोक कलाकारों ने देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अपना लोहा मनवाया है. आपको जानकर हैरानी होगी कि जापान के टोक्यो में रहने वाली एक युवती राजस्थान को विदेश में प्रमोट कर रही है. उसे राजस्थान से इतना प्यार है कि उसने अपना नाम तक बदल लिया है और राजस्थान को वह अपना दूसरा घर मानती हैं.(श्रीकांत व्यास)
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यह कहानी केवल जापानी युवती के मायूमी के मधु बन जाने की नही है. यह कहानी उस युवती की है, जिसने राजस्थान के रंग में रंगकर अपने देश के साथ-साथ विदेशी सरजमी और उसकी संस्कृति से बखूबी प्यार किया है.(श्रीकांत व्यास)
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मधु कालबेलिया नृत्य व राजपूती घूमर नृत्य की जानकार हैं और पारम्परिक राजस्थानी गीत भी गा रही हैं. साथ ही टोक्यो में कई लोगों को पारम्परिक नृत्य व गीत सिखा भी रही हैं. मधु बताती हैं कि मुझे हिंदुस्तान बहुत अच्छा लगा और राजस्थान मेरा दूसरा घर है.
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मधु ने बताया कि 11 साल पहले एक फिल्म में कालबेलिया डांस देखकर वह खुद को रोने से रोक ही नही पाईं, यह पहला मौका था जब उन्हें इसे सिखने की जिज्ञासा हुई.
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मधु ने सोशल मीडिया पर आशा सपेरा(मधु के गुरू) का जब पहली बार डांस का वीडियो देखा तो सीधा उन्हें कॉल कर यह डांस सीखने की बात की. उसके बाद वह जब भी राजस्थान आती थी तो यहां से वीडियो बना के ले जाती थी और वहां प्रैक्टिस करती थी.
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मधु बताती हैं कि 2015 के बाद से उन्होंने खुद सिखने के साथ-साथ टोक्यो में सिखाना भी शुरू किया. वर्तमान में उनके 20 स्टूडेंट है, हर रविवार को उन्हें वह नृत्य के साथ राजस्थानी गीत गाने और पढ़ने के साथ ही उनका अर्थ भी बताती हैं.
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जापान से होने के बावजूद मधु अच्छी हिंदी बोलती हैं.
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मियामी को राजस्थान का पहनावा, भोजन, नृत्य, फॉक गीत इतने पंसद आए की मियामी को इन सबके साथ रहने की ललक पैदा हो गई. वह जैसलमेर रहकर राजस्थानी संस्कृति में रम गईं और जापान की मियामी मधु बन गई.
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मधु जापान में राजस्थानी संस्कृति को प्रमोट कर रही हैं - जापान की मियामी अपना गुरु राजस्थान की मशहूर कलाकार आशा सपेरा को मानती हैं, उनसे सीखकर मधु जापान में लोगों को नृत्य सिखाती है.
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मधु जापान के भारतीय दूतावास के आयोजन में या राजस्थान की संस्कृति को पसंद करने वाले लोगों के आयोजन में परफोर्म करती है.
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राजस्थानी नृत्य करना मधु का शौक है न कि पेशा, मधु बताती है कि जब वो किसी राजस्थानी नृत्य या रावण हत्था, अलगोजा, खडताल जैसे वाद्य यंत्रों की आवाज सुनती है तो उनकी धुन पर पैर थिरकने लगते हैं.
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