होली पर गरजती तोप और बरसती गोलियां, 450 साल पुरानी परंपरा आज भी निभा रहा यह समाज
रंगों के इस त्योहार होली को अनूठे अंदाज में मनाया गया. राजस्थान में एक ऐसी भी जगह है जहां बंदूकों और तोप की गर्जना के बीच होली के बाद जमरा बीज का त्यौहार मनाया जाता है. मेनारिया ब्राह्मण समाज के लोग बीते 450 वर्षों से कुछ इसी अंदाज से होली का त्यौहार मना रहे हैं. (संजय व्यास)
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राजस्थान में एक ऐसी भी जगह है जहां बंदूकों और तोप की गर्जना के बीच आतिशबाजी के साथ होली के बाद त्यौहार मनाया जाता है. यह नजारा उदयपुर के मेनार गांव में देखने को मिलता है.
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राजा महाराजाओं के रियासत काल से चली आ रही यह परंपरा आज भी मेनारिया ब्राह्मण समाज के लोग बदस्तूर निभा रहे हैं.
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इसे देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग मेनार गांव पहुंचते हैं. इस दौरान मेनारिया ब्राह्मण समाज के 52 गांवों के लोग पंच मेवाड़ की पारंपरिक धोती, (अंगरखी)झब्बा और पगड़ी पहनते हैं.
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मान्यता है कि महाराणा प्रताप के पिताजी उदय सिंह के समय मेनार गांव से आगे मुगलों की एक चौकी हुआ करती थी. मुगलों की इस चौकी से मेवाड़ साम्राज्य की सुरक्षा को खतरा था. मेवाड़ की रक्षा करने के लिए मेनारिया ब्राह्मण समाज के लोग रणबांकुरे बन कर मुगलों की चौकी पर धावा बोला और उसे पूरी तरह से तहस-नहस कर दिया था.
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मेनारिया समाज के लोगों ने अपने कुशल रणनीति से मेवाड़ राज्य की रक्षा की थी इस हमले में मेवाड़ की रक्षा में समाज के कुछ लोग भी शहीद हुए. उसके बाद से ही समाज के लोग मुगल चौकी पर अपनी जीत के जश्न को आज भी उसी अंदाज के साथ मना रहे हैं.
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