राजस्थान में शुरू हुई वन्यजीवों की गणना, सामने आईं खूबसूरत तस्वीरें
वैशाख की पूर्णिमा (पीपल पूर्णिमा) के रात को चांद की रोशनी का तेज ज्यादा होता है. इस दिन बीना किसी रोशनी की मदद से वन्यजीवों को आसानी से चांदनी वाली रात में (moon light night )आंखों से ही देखा जा सकता है. इसमें वन्य जीव जंगल मे दूर से ही बिना किसी कृत्रिम लाइट के आसानी से नजर आ जाते हैं. यही कारण है कि हर साल वैशाख पूर्णिमा के दिन राजस्थान में वन्यजीवों की गणना की जाती है.
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राजस्थान के टोंक में हर साल की तरह से 40 जलस्रोतों पर गुरुवार की सुबह 8 बजे से पीपल पूर्णिमा के अवसर पर वन्यजीवों गणना की जा रही है. पूर्णिमा की रात चांद की रोशनी में की जाने वाली यह वन्यजीवों की गणना इसलिए भी खास है, क्योंकी इस बार पहली बार जिले में 10 कैमरा ट्रैप का इस्तेमाल वन्यजीव गणना में किया जा रहा है.
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पिछले कुछ दिनों में जिले में 3 से 4 जगहों पर सिरस, नोहटा, बस्सी, दूधिया बालाजी क्षेत्र सहित कई गांवो के आसपास पैंथर का मूवमेंट देखने को मिल रहा है.
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गुरुवार की सुबह 8.00 बजे से टोंक में वन्यजीव गणना का कार्य हुआ है, जिसमे टोंक जिले की 5 रेंज में जिलेभर में 40 जलस्रोतों पर वन्य जीव गणना की जा रही है, जिसमे प्रत्येक रेंज में 2-2 जगह पर कैमरा ट्रेप भी लगाए गए है.
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इस वन्यजीव गणना में इस बार वनकर्मियों के साथ मे वन्यजीव प्रेमीयों को भी गणना के कार्य में शामिल किया गया है.
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2024 कि इस गणना में टोंक जिले में सबसे महत्वपूर्व पॉइंट बीसलपुर कंजर्वेशन रिजर्व में लीपर्ड व सांभर पर विशेष फोकस है.
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जिले के पहाड़ी क्षेत्रों सिरस, नोहटा, बड़ा गांव व हथौना के पास भी इन दिनों पैंथर का मूवमेंट बना हुआ है.
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टोंक जिले में पैंथर, सांभर, काले हिरण, हिरण, नीलगायों, सियार, लोमड़ी, जरख, जंगली बिल्ली, भेड़िया, मोर आदि वन्यजीवों पर वन्यकर्मियों की नजर रहेगी. वॉटर हाल पद्दति पर आधारित यह वन्यजीव गणना जिसमे इस बार कैमरा ट्रेप का भी उपयोग किया जा रहा है.
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