Pride of Rajasthan: 51 साल की उम्र में प्रकाश श्रीपत ने पावर लिफ्टिंग में जीता गोल्ड, अखाड़े से शुरू हुआ बॉडी बिल्डिंग का सफर

पॉवर लिफ्टिंग में गोल्ड मेडलिस्ट प्रकाश श्रीपत की बॉडी बिल्डिंग का सफर अखाड़े से शुरू हुआ. घर में तीसरी पीढ़ी के बॉडी बिल्डर श्रीपत आज जिले के युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बनकर उभरे हैं. पेशे से गाइड श्रीपत विदेशी सैलानियों को जैसलमेर के इतिहास से रूबरु कराते हैं.

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गोल्ड मेडलिस्ट प्रकाश श्रीपत (फाइल फोटो)

Pride of Rajasthan: भीलवाडा में आयोजित 12वीं राजस्थान स्टेट क्लासिक पावर लिफ्टिंग चैम्पियनशिप में 350 किलो वर्ग गोल्ड मैडल जीतने वाले जैसलमेर जिले प्रकाश श्रीपत अब किसी पहचान की मोहताज नहीं है. दादा पुकारने जाने वाले  51 वर्षीय.प्रकाश श्रीपत जब गोल्ड मैडल जीतकर जैसलमेर पहुंचे तो उनके घर पर बधाई देने वालों तांता लग गया.

पॉवर लिफ्टिंग में गोल्ड मेडलिस्ट प्रकाश श्रीपत की बॉडी बिल्डिंग का सफर अखाड़े से शुरू हुआ. घर में तीसरी पीढ़ी के बॉडी बिल्डर श्रीपत आज जिले के युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बनकर उभरे हैं. पेशे से गाइड श्रीपत विदेशी सैलानियों को जैसलमेर के इतिहास से रूबरु कराते हैं.

29 से 31 मार्च तक भीलवाडा में आयोजित हुई 12वीं राजस्थान स्टेट मेन-वुमेन क्लासिक पॉवर लिफ्टिंग चैम्पियनशिप में राजस्थान भर के करीब 400 एथलीट ने हिस्सा लिया, जिसमें जैसलमेर के प्रकाश श्रीपत ने 51 की उम्र में गोल्ड मेडल जीत कर इतिहास रच दिया.

गोल्ड मेडलिस्ट श्रीपत बताते हैं कि गाइडिंग का काम केवल वह परिवार के लिए करते है, उनका असली पैशन जिम और बॉडी बिल्डिंग है और आज भी जिम में सैकड़ों लोगों को तैयार कर रहे हैं.

25 पहलवानों को पछाड़ कर 350 किलोग्राम वर्ग में जीता गोल्ड 

भीलवाड़ा में आयोजित तीन दिवसीय प्रतियोगिता में जूनियर से लेकर मास्टर तक कई पावर लिफ्टिंग के कॉम्पिटिशन में प्रदेश भर से प्रतिभागी शामिल हुए थे.. प्रकाश ने मास्टर कैटेगरी में हिस्सा लिया, जिसमें उनके साथ 25 अन्य प्रतिभागी भी शामिल थे. इस कैटेगरी में श्रीपत को 350 किलो का वजन उठाना था. श्रीपत ने 25 पहलवानों को पछाड़ कर 350 किलोग्राम वजन उठाकर गोल्ड मेडल अपने नाम कर लिया. 

बचपन में ही प्रकाश श्रीपत को बॉडी बिल्डिंग का शौक लग गया था

भाया भाऊ या भाऊ के नाम से मशहूर 51 वर्षीय गोल्ड मेडलिस्ट प्रकाश श्रपति को बॉडी बिल्डिंग का शौक बचपन में ही लगा गया था, क्योकि दादा अखाडा चलाया करते है और अखोड़े से शुरू हुआ श्रीपत का सफर जल्द ही बॉडी बिल्डिंग की जूनन में बदल गया. प्रकाश के दादा किशन लाल श्रीपत राजपरिवार के वक्त जैसलमेर रियास्ट कालीन अखाड़ा चलाते थे.

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5 वर्ष की उम्र में अखाड़े में कुश्ती के दांव-पेंच सीखने लगे थे श्रीपत

महज 5 वर्ष की उम्र में अखाड़े में कुश्ती के दांव-पेंच सीखने वाले प्रकाश श्रीपत बॉडी बिल्डिंग का सफर तब शुरू हुआ जब वो 17 साल के थे. ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि दादा के समय में शुरू हुआ उनका अखाडा बंद हो गया. श्रीपत आज 51 वर्ष की उम्र में भी फिट है और जैसलमेर में सैकड़ों लड़कों को बॉडी बिल्डिंग के लिए तैयार कर चुके हैं.

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