पर्यावरण संरक्षण मिसाल बनीं 80 साल की तारा देवी, वेस्ट प्रोडक्ट्स को अपने हुनर से बना रहीं बेस्ट

तारा देवी की उम्र भले 80 वर्ष है पर जज्बा आज भी युवाओं वाला है. पुराने कपड़े और कंबलों से 1 हजार से अधिक इको फ्रेंडली गमलों को तैयार कर दिया है. वैज्ञानिक पति की प्रेरणा से अपने इस हुनर को उन्होंने आगे बढ़ाया. 

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तारादेवी और उनके पति की तस्वीर

Rajasthan News: 'कला और हुनर किसी उम्र के मोहताज नहीं होते' इस कहावत को जोधपुर की 80 वर्षीय तारादेवी ने सिद्ध कर दिखाया है. जिन्होंने अपनी हस्त कला और हुनर को अब जज्बे में बदल दिया है. 80 वर्षीय तारादेवी पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने के साथ ही घरों के वेस्ट सामान को अपनी कला और हुनर के जरिए नए स्वरूप में बदलकर इको फ्रेंडली बेस्ट सामान के तौर पर तैयार कर रही हैं.

पुराने पड़े सामान से तैयार करतीं सजावट प्रोडक्ट

तारादेवी ने अब तक कहीं पुराने कपड़ों से आकर्षक गमलों को भी तैयार कर दिखाया है और इसके साथ ही पुराने प्लास्टिक के डिब्बे और बॉटल्स के जरिए भी कहीं साज सजावटी सामानों को अपनी कला और हुनर के जरिए नए स्वरूप में बदल रही हैं. 80 वर्षीय तारा देवी के पति ड़ॉ. ओ.पी.एन कल्ला जो अंतरिक्ष वैज्ञानिक के साथ ही इसरो के पूर्व डिप्टी डायरेक्टर भी रह चुके हैं. उनके द्वारा ही उनको यह प्रेरणा मिली कि कोई भी सामान वेस्ट नहीं होता बस जरूरत है तो उसको कैसे उपयोगी बनाया जा सके.

तारादेवी ने यूट्यूब के जरिए सीखें नए तरीके

80 वर्षीय तारादेवी का कला के प्रति बचपन से ही उनका जुड़ाव रहा है. जहां लॉकडाउन के बाद उन्होंने अपनी कला को आगे बढ़ाया और देखते ही देखते इस कला को जज्बे में बदल दिया. उन्होंने यूट्यूब के जरिये भी नए तरीके से देख के सीख कर भी घरों के ही व्यर्थ सामान को नए स्वरूप में तब्दील कर दिया. जिसमें पुराने तेल के डिब्बे और बोतल से लेकर पुराने कार्डबोर्ड के साथ ही पुराने कपड़ों व कंबल की मदद से कहीं गमलों को भी बनाया.

'इस अवस्था में जीवन जीने का अच्छा तरीका'

80 वर्षीय तारादेवी के पति और पूर्व अंतरिक्ष वैज्ञानिक ओपीएन कल्ला बताते है कि मैंने तारादेवी को कुछ नया करने का आईडिया दिया जिसका सकारात्मक परिणाम भी दिख रहा है और क्योंकि हम दोनों बूढ़ें हैं तो अपने समय को कैसे व्यतीत करें उसके लिए यह एक अच्छा तरीका भी है. मुझे खुशी है कि पिछले 2 सालों से जो मेरी पत्नी ने अपने इस कला और हुनर को जो समय दिया है उसके सुख परिणाम भी देखे जा रहे हैं.

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लोगों किसी भी वस्तु को वेस्ट ना करें उसको कैसे उपयोगी बनाया जा सके उसके लिए भी काम करें. जैसा कि हम देखते है कि कई लोग कचरे को घर से बाहर फेंकते हैं, जिससे कि पर्यावरण को भी नुकसान होता है और अगर उसे वेस्ट को ना कह कर उसको यूटिलाइज करें जिससे कि आगे आने वाले समय में ग्लोबल वार्मिंग पर भी सकारात्मक असर पड़ेगा.

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