Rajasthan: बाड़मेर की बेटी ने बढ़ाया जिले का मान, 12वीं में 98.40 प्रतिशत अंक लाकर जिले में किया टॉप

बाड़मेर में बालिका शिक्षा की स्थित बेहद ही दयनीय रही है. यहां लड़कों के मुकाबले लड़कियों को कम पढ़ाया जाता है. ऐसे में जसोदा ने ना सिर्फ 12वीं तक पढ़ाई की है, बल्कि पूरे जिले में सबसे ज्यादा नंबर लाकर जिला टॉप किया है.

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Rajasthan News: कभी बालिका शिक्षा में सबसे पिछड़े इलाके के रूप में बदनाम पश्चिमी राजस्थान के बाड़मेर (Barmer) का बेटियों ने नाम रोशन किया है. सोमवार को जारी सीबीएसई के रिजल्ट (CBSE Result) में बाड़मेर की होनहार बेटियों ने अपनी मेहनत और लगन के दम पर इस मिथक को तोड़ते हुए बड़ी सफलता हासिल की है. सीबीएसई के रिजल्ट में जिले के टॉपर की सूची में सबसे ज्यादा बेटियों ने अपना नाम दर्ज करवाया है. सबसे बड़ी उपलब्धि ये है कि जिले की टॉपर भी एक बेटी है, जिसने 12th आर्ट्स में 98.40 परसेंट अंक हासिल कर टॉप किया है. 

IAS अधिकारी बनना चाहती है जसोदा

जसोदा की मां आंगनबाड़ी कार्यकर्ता है और पिता ग्राम विकास अधिकारी. जसोदा का सपना आईएएस अधिकारी बनने का है और इसको लेकर यूपीएससी की तैयारी में लगी हुई है. जसोदा आगे की पढ़ाई के लिए बाहर जाना चाहती, जिसको लेकर एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी कर रही है. रिजल्ट जारी होने की खुशी मानने से ज्यादा ध्यान तैयारी में लगा हुआ है. इसको लेकर जसोदा का कहना है कि रिजल्ट जारी होने के बाद से बधाईयां देने वालों का तांता लगा हुआ है, जिसके चलते एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी में डिस्टर्ब हो रहा है. ऐसे में रिजल्ट थोड़े दिन बाद जारी होता तो ज्यादा खुशी होती.

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दिल्ली जाकर आगे की पढ़ाई का सपना

सोमवार जारी सीबीएसई के रिजल्ट में बाड़मेर के तिलक नगर निवासी जसोदा चौधरी ने 98.40% अंक हासिल करते हुए, जो जिले में सबसे ज्यादा हैं. 12th साइंस में मिली इस सफलता को लेकर जसोदा का कहना है कि एक ही लक्ष्य के साथ आगे बढ़ी और उसी लक्ष्य को सच्ची की लगन के साथ मेहनत की इसी का नतीजा है. उसने जिले में टॉप किया है. उसका कहना है कि माता पिता ने हमेशा उसका साथ दिया और हर कदम पर उसपर भरोसा जताया, जिससे राह आसान होती चली गई. अब लक्ष्य आईएएस अफसर बनने का है. इसको लेकर देश की राजधानी दिल्ली जाना चाहती हूं.

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'बेटियों पर भरोसा कर साथ देने की जरूरत'

बाड़मेर में बालिका शिक्षा की स्थित बेहद ही दयनीय रही है. लड़कों के मुकाबले लड़कियों को कम पढ़ाया जाता है, और जो पढ़ाते हैं 10,12th क्लास तक आते आते लड़कियों को स्कूल छुड़वा दी जाती है. ज्यादातर गांव में अपर प्राइमरी से ऊपर स्कूल नहीं है. ऐसे में बेटियों को पढ़ने के लिए बाहर या शहर भेजने के बजाय कम उम्र में शादी कर दी जाती है या स्कूल बंद करवाकर घर पर बिठा दिया जाता है. इसको लेकर जसोदा की मां मोहिनी चौधरी का कहना है कि बेटियों का साथ देना चाहिए. उन पर भरोसा रखना चाहिए. आज के दौर में यदि भरोसे के साथ बेटियों को आगे बढ़ने में सहयोग मिले तो बेटियां भी बेटो से कम नहीं है. यदि मां बाप बेटी को बेटो की तरह प्रोत्साहित करें तो बेटियां जरूर माता पिता और देश प्रदेश का नाम रोशन करेंगी.

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