Rajasthan News: राजस्थान प्रशासनिक सेवा एग्जाम का रिजल्ट (RAS Result 2023) बुधवार रात जारी हो गया है. पुष्कर (Pushkar) की रहने वाली अंकिता पाराशर (Ankita Parashar) ने इस बड़ी परीक्षा में दूसरा स्थान (सेकेंड रैंक) लाकर पूरे इलाके का नाम रोशन कर दिया है. ये सिर्फ एक रैंक नहीं है, बल्कि 11 साल पहले कैंसर से लड़ रहे अपने पिता से किए गए एक गहरे और सच्चे वादे को पूरा करने की जीत है.
जैसे ही रिजल्ट आया, पुष्कर में अंकिता के घर, उनके मोहल्ले और रिश्तेदारों में खुशी की लहर दौड़ गई. लोग ढोल-नगाड़े बजाते हुए उनके घर पहुंचे और जमकर जश्न मनाया. गली-मोहल्ले में खूब आतिशबाजी हुई और मिठाई बांटी गई. अंकिता की इस कामयाबी पर पूरा अजमेर जिला गर्व महसूस कर रहा है.
पिता का सपना था, बेटी ने पूरा किया
अंकिता पाराशर के लिए ये सफर किसी चुनौती से कम नहीं था. आज से 11 साल पहले, जब उनके पिता कैंसर से जूझ रहे थे और जिंदगी की आखिरी सांसें गिन रहे थे, तब अंकिता ने उनसे एक वादा किया था. वादा ये था कि वो उनका सपना पूरा करेंगी और RAS अफसर बनकर दिखाएंगी. आज, अंकिता ने अपना ये वचन निभा दिया है. आपको बता दें कि वो पहले से ही दूदू (Dudu) में ग्राम विकास अधिकारी (VDO) की सरकारी नौकरी कर रही थीं. नौकरी की जिम्मेदारी संभालते हुए उन्होंने RAS की तैयारी की और टॉपर्स की लिस्ट में अपना नाम दर्ज कराया.
'ये मेरे पिता के सपने की जीत है'
अंकिता ने अपनी इस कामयाबी को सीधे तौर पर अपने दिवंगत पिता को समर्पित किया है. उन्होंने भावुक होकर कहा, 'ये सिर्फ एग्ज़ाम पास करने की खुशी नहीं है, ये मेरे जीवन के सबसे बड़े संघर्ष और मेरे पिता के सपने की जीत है. आज मुझे सच में लग रहा है कि मैंने अपना वचन निभा दिया है.' उनकी ये कहानी आज राजस्थान के लाखों युवाओं, खासकर लड़कियों के लिए एक बड़ी प्रेरणा बन गई है.
हर कदम पर मिला परिवार-दोस्तों का साथ
RAS जैसी मुश्किल परीक्षा में सेकेंड रैंक हासिल करने वाली अंकिता अपनी सफलता का श्रेय अकेले नहीं, बल्कि उन सभी लोगों को देती हैं जिन्होंने उनका साथ दिया. उन्होंने कहा कि उनके पूर्वजों का आशीर्वाद, माता-पिता (खासकर पिता) का सपना, गुरुजनों की अच्छी बातें और परिवार के लोगों के साथ-साथ कुछ खास दोस्तों की प्रेरणा से ही ये सब हो पाया है. अंकिता ने बताया कि तैयारी के दौरान कई बार ऐसा भी हुआ जब उन्हें लगा कि वो हार मान लेंगी. लेकिन, उनके दोस्तों और शिक्षकों ने हमेशा उनका हौसला बढ़ाया. उसी हौसले के दम पर वो अपनी नौकरी और पढ़ाई के बीच तालमेल बिठाकर मेहनत करती रहीं.
'पिता से किया वादा बना सबसे बड़ी ताकत'
अंकिता पाराशर ने NDTV राजस्थान से खास बातचीत में कहा, 'नौकरी के साथ पढ़ाई करना आसान नहीं था. लेकिन जब भी थकती थी, पिता से किया वादा याद आ जाता था. वो वादा ही मेरी सबसे बड़ी ताकत बन गया. मैं सभी युवाओं से यही कहूंगी कि अपने लक्ष्य को दिल से मानिए, सफलता जरूर मिलेगी.'
लड़कियों के लिए बड़ी मिसाल
अंकिता पाराशर की ये कहानी महिला सशक्तीकरण (Women Empowerment) की भी एक बड़ी मिसाल है. उन्होंने साबित कर दिया कि अगर लड़कियां ठान लें और उन्हें परिवार का साथ मिले, तो वो किसी भी मुश्किल को पार कर सकती हैं. ग्राम विकास अधिकारी की पूरी जिम्मेदारी संभालते हुए उन्होंने RAS जैसी बड़ी परीक्षा में टॉप किया. उनकी सफलता बताती है कि अगर आपके पास मजबूत इरादे हैं, तो काम या पैसे की कमी आपके सपनों को नहीं रोक सकती.
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