Rajasthan News: युवाओं के आदर्श कहे जाने वाले स्वामी विवेकानंद के विचारों से झुंझुनूं जिले के भीमसर गांव के रहने वाले डॉ. जुल्फिकार इस तरह प्रभावित हुए कि उन्होंने स्वामी विवेकानंद पर पीएचडी की. साथ ही उन पर 5 पुस्तकें लिखकर उनके विचारों को गांव-गांव में युवाओं तक पहुंचाने का लक्ष्य बनाते हुए रोज गांव-ढाणियों में जाकर युवाओं को स्वामी विवेकानंद के विचारों के बारे में जानकारी दे रहे हैं.
विवेकानंद के विचार लोगों तक पहुंचाना लक्ष्य
डॉ. जुल्फिकार स्वामी विवेकानंद के विचारों से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने मुस्लिम होने के बावजूद न केवल स्वामी विवेकानंद पर पीएचडी की, बल्कि जीवन भर के लिए उनके विचार अपना लिए हैं. उन्होंने देश-विदेश में स्वामी रामकृष्ण मिशन से जुड़े मठों में रहकर स्वामी विवेकानंद की जीवनी और उनके विचारों पर अध्ययन भी किया. अब जुल्फिकार का सिर्फ एक ही उद्देश्य है कि वह स्वामी विवेकानंद के विचारों को ज्यादा से ज्यादा युवाओं तक पहुंचा सकें.
स्कूल के दिनों से ही हुए प्रभावित
डॉ. जुल्फिकार ने बताया कि उनके पिता खेतड़ी एचसीएल में कार्य करते थे. जुल्फिकार की शुरुआती पढ़ाई खेतड़ी से ही हुई है. वह अपने स्कूली दिनों से ही रामकृष्ण मिशन से जुड़े. रामकृष्ण मिशन के जो भी कार्यक्रम स्कूली समय के दौरान आयोजित होते थे. उन सभी में उन्होंने पर चढ़कर हिस्सा लिया था. खेतड़ी में पढ़ाई करने के दौरान और रामकृष्ण मिशन से जुड़े होने की वजह से जुल्फिकार ने भी स्वामी विवेकानंद पर कुछ अलग करने की सोचा. इसी को लक्ष्य बनाते हुए जुल्फिकार ने स्वामी विवेकानंद पर पीएचडी की है.
स्वामी विवेकानंद पर लिखी 5 किताबें
डॉ. जुल्फिकार ने देश-विदेश में 50 से अधिक रामकृष्ण मठों का भ्रमण कर विवेकानंद के बारे में जाना हैं. उन्होंने सिंगापुर, श्रीलंका, बांग्लादेश के मठों में भी स्वामी विवेकानंद के बारे में अध्ययन किया. जुल्फिकार ने बताया कि वह अभी तक स्वामी विवेकानंद पर पांच किताबें लिख चुके हैं. जिनमे रामकृष्ण मठ एव रामकृष्ण मिशन, स्वामी विवेकानंद चिंतन एवं रामकृष्ण मिशन खेतड़ी, राजस्थान में स्वामी विवेकानंद, बांग्लादेश ढाका का अध्ययन और स्वामी विवेकानंद की प्रेरक घटनाएं.
खेतड़ी को अपना दूसरा घर मानते थे विवेकानंद
डॉ. जुल्फिकार ने बताया ने बताया की युवाओं को स्वामी विवेकानंद के बारे में पढ़ना चाहिए. जिससे युवाओं में एक नए नई ऊर्जा का संचार होता है. स्वामी विवेकानंद के राजस्थान के खेतड़ी में आने को लेकर उन्होंने कहा कि वे राजा अजीत सिंह के आदर सत्कार से अभिभूत होकर ही विवेकानंद ने खेतड़ी को अपना दूसरा घर मानते थे. डॉ. जुल्फिकार ने बताया कि अब वे किताबें लिखने के साथ में ही स्वामी विवेकानंद की शिक्षा को फिर से गांव-गांव तक पहुंचा रहे हैं.
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