बांसवाड़ा के यशस ने लाखों का पैकेज ठुकरा, इसरो में वैज्ञानिक बन जिले का मान बढ़ाया

गेट की परीक्षा में पूरे भारत में 46वीं रैंक लाकर बेंगलुरु के भारतीय विज्ञान संस्थान के M.Tech में माइक्रो इलेक्ट्रॉनिक्स व LSI डिजाइन की पढ़ाई करने वाले, यशस जैन का इसरो में चयन.

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इसरो में चयनित, बांसवाड़ा के यशस जैन
बांसवाड़ा:

राजस्थान के बांसवाड़ा से एक देश प्रेम का ऐसा मामला आ रहा है, जहां देश की सेवा के सामने रुपये और रुतबे का कोई मायने नहीं है. जिले के बागीदौरा क्षेत्र के यशस जैन ने कुछ ऐसा ही कदम उठाते हुए, अमेरिकन कंपनी की ओर से दिए गए सालाना 38 लाख रुपए के पैकेज को छोड़, देश सेवा के लिए वैज्ञानिक बनने का निश्चय किया. यशस का चयन इसरो में हआ है, जहां उनको सैटेलाइट को प्रक्षेपित करने में जो उपकरण उपयोग में आते हैं जैसे- सेंसर कैमरा, चिप डिजाइन से संबंधित कार्य की जिम्मेदारी मिली है. यशश की नियुक्ति अंतरिक्ष केंद्र अहमदाबाद में हुई है. 

गेट की परीक्षा में पूरे भारत में 46वीं रैंक लाकर यशश ने बेंगलुरु के भारतीय विज्ञान संस्थान के M.Tech में माइक्रो इलेक्ट्रॉनिक्स व LSI डिजाइन की पढ़ाई के लिए प्रवेश लिया था. पढ़ाई के दौरान गेट में अच्छे अंक लाने वाले छात्रों को इसरो में वैज्ञानिक व इंजीनियर के पद के लिए इंटरव्यू के लिए बुलाया जाता है.

यशस ने बताया कि इसरो में इंटरव्यू से पहले कॉलेज कैंपस में एक अमेरिकन कंपनी में उनका, सालाना 38 लख रुपए के पैकेज पर चयन हुआ था. लेकिन यशस ने इसरो जैसी संस्था से जुड़कर देश सेवा करने के लिए अमेरिकन कंपनी का ऑफर ठुकरा दिया.

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डॉ एपीजे अब्दुल कलाम हैं यशश के आदर्श
यशश का सपना है कि वह पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के बताए मार्ग पर चलते हुए, एक अच्छा वैज्ञानिक बनकर देश की सेवा करें. यशस ने बताया कि इसरो के वैज्ञानिक राजमल जैन को देखने के बाद, उन्होंने वैज्ञानिक बनने की निश्चय किया था.  

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सफलता का श्रेय शिक्षक और परिजनों  को देते हैं यशश 
यशस बताते हैं कि जब वो अपनी बहन के साथ मुनि पुनीत सागर जी महाराज के दर्शन करने गए थे, जहां उन्होंने अपने सपने की चर्चा की, जिसके बाद मुनि पुनीत सागर जी ने यशस को पूर्व राष्ट्रपति और वैज्ञानिक एपीजे अब्दुल कलाम की तरह देश सेवा में जाने की बात कही और आशीर्वाद दिया.

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यशस ने बताया कि आचार्य विद्यासागर के आशीर्वाद और मुनि पुनीत सागर की प्रेरणा और साहस से आज उन्हें, देश सेवा करने का अवसर मिला है. यशस ने अपनी सफलता का श्रेय अपने शिक्षक, पिता मिलन जैन, माता चेतना जैन, बहन दृष्टि जैन और परिवार के अन्य सदस्यों को दिया है.

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