Holi In Rajsamand: रंगों का त्योहार होली वागड़ में अनूठी परंपराओं और मान्यताओं के साथ खेली खाती है. यहा लोग रंग गुलाल और ढोल कुंडी के साथ ही होली के धधकते अंगारों पर चलते है. मान्यता है कि ऐसा करने से घर परिवार में सालभर निरोगी और खुशहाली रहती है. कोकापुर गांव में 100 साल से ये परपंरा उसी अंदाज में पूरी होती है.
प्रदेश में होली पर अलग-अलग रंग देखने के साथ अनूठी परम्पराओं का निर्वहन किया जाता है. उसी के तहत प्रदेश के आदिवासी बहुल डूंगरपुर जिले में भी होली पर अलग-अलग परम्पराओं का निर्वहन सदियों से लोग करते आ रहे है. उन्हीं परंपराओं में से एक परंपरा है दहकते अंगारों पर चहलकदमी करने की बात सुनकर व देखकर आश्चर्य जरूर लगे लेकिन वाकई में डूंगरपुर जिले के कोकापुर गांव में होली के अवसर पर जलती होलिका पर चलने की परंपरा है. जो अपने आप में क्षेत्र का अनोखा आयोजन है.
परंपरानुसार सैंकड़ों ग्रामीणजनों की मौजूदगी में होलिका दहन के दूसरे दिन अलसुबह लोग होलिका स्थल पर पहुंचते हैं और जलती होली के दहकते अंगारों पर नंगे पांव चलकर प्राचीन मान्यताओं और लोक परंपराओं का निर्वहन कर उत्सवी श्रद्धा का इजहार करते हैं.
दहकते अंगारों पर करते हैं चहलकदमी
इसी के तहत देर रात को कोकापुर में होलिका दहन के बाद आज सोमवार अल सुबह कोकापुर सहित आसपास के गांवों के लोग होलिका दहन स्थल पर पहुंचे. इस दौरान ढोल की थाप पर गैर खेलते हुए एक दूसरे को होली की शुभकामनाएं दी. गांव के हनुमान मंदिर और शिव मंदिर में पूजा-अर्चना की गई. इसके बाद होली के जलते अंगारो पर चलने की परंपरा का निर्वहन किया गया. इस दौरान बुजुर्ग हो या युवा सभी ने दहकते अंगारों में चहलकदमी करते हुए सदियों से चली आ रही परंपरा का निर्वहन किया. वही गांव में खुशहाली की कामना की.
'साल भर रहे रहे खुशहाली' यही रहती कामना
गांव में मान्यता है की होलिका दहन से बाद दहकते अंगारों पर चहलकदमी करने से गांव पर कोई विपदा नहीं आती है. घर परिवार में सालभर में कोई बीमारी नहीं होती है और होलिका के आशीर्वाद से खुशहाली रहती है. इस परम्परा को देखने हाजारो की संख्या में आस पास के क्षैत्र से लोग कोकापुर गांव आते है वही हजारो साल से ग्रामीण इस परम्परा को निभाते आ रहे है ओर कोई भी अनहोनी नही हुई है.