जोधपुर में सूरज की किरणों से चलने वाली देसी फ्रिज देख केरल के 106 छात्र हुए आश्चर्यचकित

जोधपुर में केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान 'काजरी' के शोध कार्यों को जानने के लिए केरल के एग्रीकल्चर विश्वविद्यालय के 106 विद्यार्थियों का दल पहुंचा.

विज्ञापन
Read Time: 16 mins

Rajasthan News: देश में नए शिक्षा हब रूप में उभर रहे जोधपुर में केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान 'काजरी' के शोध कार्यों को जानने के लिए केरल के एग्रीकल्चर विश्वविद्यालय के 106 विद्यार्थियों का दल पहुंचा. यहां छात्राएं काजरी के किए गए शोध से रूबरू हुई. छात्रों के इस दल ने काजरी के कृषि क्षेत्र में किए जा रहे नवीन प्रयोग और तकनीक को भी बारीकी से देखा. जहां जोधपुर के कजरी में सौर ऊर्जा से संचालित होने वाले देसी फ्रिज को देखकर भी केरल के छात्र आश्चर्य चकित रह गए. किसानों के हित को देखते हुए काजरी के प्रयोगों और राजस्थान की क्लाइमेट में की अन्य प्रदेशों के क्लाइमेट में बुवाई की जाने वाली फसलों की कृषि प्रणालियां और शोध कार्यों से भी वैज्ञानिकों से मार्गदर्शन लेते- देखे गए.

काजरी के प्रधान वैज्ञानिक सुरेंद्र पूनिया ने एनडीटीवी से बात करते हुए बताया कि आज कजरी के कृषि अभियांत्रिकी रिन्यूएबल एनर्जी डिवीजन के भ्रमण के लिए केरल एग्रीकल्चर विश्वविद्यालय के 106 बीएससी विद्यार्थियों का दल आया था. जिन्होंने सोलर यार्ड का भी भ्रमण किया जहां किसानों के लिए बनाई गई सोलर डिवाइस से भी विद्यार्थी अभीभूत हुए इसके अलावा एग्री वोल्टेज प्रणाली को भी देखा. इसके अलावा उनको यह भी बताया गया कि कुसुम योजना के तहत इस प्रणाली को किस किस प्रकार से अपने खेत में उपयोग में ले सकता है. इसके अलावा सोलर डिस्टलेशन की प्रणाली जो विकसित की है जिससे हम डिस्टिल्ड वॉटर भी बनाते हैं उसके बारे में भी जानकारी दी.

Advertisement

वहीं केरला एग्रीकल्चर विश्वविद्यालय के बीएससी के छात्र सायत्न सिंघा ने एनडीटीवी से बात करते हुए बताया कि हमने काजरी में आज विभिन्न शोध कार्यों को देखा. इसके साथ ही हमने विशेष रूप से पर्यावरण और क्लाइमेट के बारे में भी विशेष जानकारी हासिल की यहां पर हमने विशेष रूप से सोलर कुकर को भी देखा. जहां जो सूरज की किरणों से रिफ्लेक्शन के द्वारा यह सोलर कुकर कार्य करता है. जिससे आम व्यक्तियों को भी इसका कितना फायदा मिलता होगा. 

Advertisement

वहीं आम आदमियों को मदद मिलने वाले भी कहीं शोध कार्य काजरी में किए गए हैं. इसके अलावा हमें पीपीटी प्रेजेंटेशन के द्वारा भी यह बताया गया की संपूर्ण भारत में कितना शुष्क क्षेत्र है. और बदलते क्लाइमेट चेंज के कारण आने वाले समय में यह कितना प्रभावित हो सकता है. अगर किताबी ज्ञान की बात करें तो काजरी में आने के बाद ही हमें वास्तविक ज्ञान का अनुभव हुआ, जहां कर सकते हैं कि लर्निंग से ज्यादा हम आंखों से देखने के बाद ही पता चला कि कितना कृषि के क्षेत्र में कार्य हुआ.

Advertisement
Topics mentioned in this article