Rajasthan: रणथंभौर टाइगर रिजर्व में बड़ा खतरा, 65 करोड़ का सर्विलांस सिस्टम ठप, बाघों की सुरक्षा खतरे में

रणथंभौर के फील्ड डायरेक्टर अनूप के.आर. ने एनडीटीवी को बताया कि सर्विलांस सिस्टम के थर्मल कैमरे काफी समय से खराब हैं. उन्होंने कहा कि इसकी सूचना सूचना प्रौद्योगिकी विभाग को कई बार लिखित में दी गई है, लेकिन अभी तक कैमरों को ठीक नहीं किया गया है.

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बाघों की 'नजर' हुई कमजोर: रणथंभौर में महीनों से बंद पड़ा 65 करोड़ का सर्विलांस सिस्टम, महीनों से ठप 11 थर्मल कैमरे
NDTV Reporter

Rajasthan News: राजस्थान के सबसे बड़े और प्रसिद्ध रणथंभौर टाइगर रिजर्व (Ranthambore Tiger Reserve) में बाघों की सुरक्षा पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है. यहां करीब 65 करोड़ रुपये की लागत से लगाया गया हाईटेक सर्विलांस सिस्टम (Hi-tech Surveillance System) पिछले कई महीनों से ठप पड़ा है. इस लापरवाही के कारण न सिर्फ बाघों की निगरानी और ट्रैकिंग में भारी मुश्किलें आ रही हैं, बल्कि रिजर्व में होने वाली अवैध गतिविधियों पर भी लगाम नहीं लग पा रही है. 

12 में से 11 थर्मल कैमरे खराब

इस सिस्टम में लगे कुल 12 थर्मल कैमरों में से 11 पूरी तरह से खराब हो चुके हैं, और केवल एक ही काम कर रहा है. ऐसे में करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद, रणथंभौर की सुरक्षा 'भगवान भरोसे' चल रही है.

क्या था इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य?

रणथंभौर में यह हाई-टेक सर्विलांस सिस्टम साल 2017-18 में सूचना प्रौद्योगिकी विभाग (DOIT) द्वारा लगाया गया था. इसका मुख्य उद्देश्य बाघों और अन्य वन्यजीवों की सुरक्षा सुनिश्चित करना था. इसके जरिए बाघों की मॉनिटरिंग और ट्रैकिंग को मजबूत बनाना, वन्यजीवों के शिकार की घटनाओं को रोकना और टाइगर रिजर्व में होने वाले अवैध अतिक्रमण और चराई पर अंकुश लगाना था.

45 मीटर ऊंचे टावर पर लगे हैं कैमरे

इस सिस्टम के तहत रणथंभौर के लगभग 942 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को थर्मल कैमरों से कवर किया गया था. इन कैमरों को 30 से 45 मीटर ऊंचे टावरों पर लगाया गया था, जिनका कवरेज रेडियस 5 किलोमीटर तक था. यहां तक कि ड्रोन भी इस सर्विलांस सिस्टम का हिस्सा थे, ताकि जंगल के हर कोने पर नजर रखी जा सके. इस सिस्टम की मदद से वनकर्मी 24 घंटे संवेदनशील इलाकों पर नजर रख रहे थे, लेकिन अब यह सब बंद हो गया है.

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लापरवाही का खामियाजा: 'शिकारियों की चांदी'

रणथंभौर के फील्ड डायरेक्टर अनूप के.आर. ने एनडीटीवी को बताया कि सर्विलांस सिस्टम के थर्मल कैमरे काफी समय से खराब हैं. उन्होंने कहा कि इसकी सूचना सूचना प्रौद्योगिकी विभाग को कई बार लिखित में दी गई है, लेकिन अभी तक कैमरों को ठीक नहीं किया गया है. फील्ड डायरेक्टर के अनुसार, सिस्टम के खराब होने से इसे लगाने का मूल उद्देश्य पूरा नहीं हो पा रहा है. जहां एक तरफ वन विभाग के अधिकारी बाघों की सही से निगरानी नहीं कर पा रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ शिकार और अवैध चराई जैसी घटनाएं बढ़ने का खतरा बढ़ गया है. यह स्थिति न सिर्फ वन्यजीवों के लिए, बल्कि पूरे इकोसिस्टम के लिए भी बेहद खतरनाक है.

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