राजस्थान की इस नगर पालिका में ACB जांच में मिले भ्रष्टाचार के 21 मामले, 2 साल से नहीं हुई कार्रवाई

एसीबी की जांच में भ्रष्टाचार के 32 मामले मिले हैं. हालांकि, 2 साल से भ्रष्ट कर्मचारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है. डीएलबी 2 सालों से कुंडली मारे बैठी है. 

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झालरापाटन नगर पालिका में भ्रष्टाचार के 32 मामले

Rajasthan News: राजस्थान सरकार भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए एसीबी लगातार कार्रवाई कर रही है. सरकार भी भ्रष्टाचार के खिलाफ लगातार सख्त रवैया अपनाए हुए है. हाल ही सरकार ने भ्रष्टाचार में शामिल तीन कर्मियों को सेवाओं से मुक्त कर घर भेज दिया था. हालांकि, झालावाड़ में एक अनूठा मामला सामने आया है. जहां पर सरकार का स्वायत्त विभाग अपने भ्रष्ट कर्मचारियों और जनप्रतिनिधियों को बचाने में जुटा हुआ है. यहीं नहीं, 2 साल से मुकदमा चलाने की फाइल दबाए बैठा है. 

ACB की जांच में मिले भ्रष्टाचार के 32 मामले 

मामला झालावाड़ जिले के झालरापाटन नगर पालिका है, जहां पर एसीबी की जांचों में भ्रष्टाचार के 32 मामले प्रमाणित पाये जा चुके हैं, जिनमें कई जनप्रतिनिधियों व सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमे दर्ज करके कार्रवाई की जानी है. हालांकि, मुकदमों की अनुमति के लिए भेजी गई फाइल पर 2 सालों से डीएलबी कुंडली मारे बैठी है. 

बता दें कि झालरापाटन नगर पालिका में वर्ष 2015 से पहले हुए कुछ घोटालों और घपलों की एक सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा की गई शिकायतों को लेकर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की टीम द्वारा जांच की गई थी. नगर पालिका से संबंधित 32 मामलो की एसीबी ने जांच की. जांच में सभी 32 प्रकरणों में अनियमितताओं की पुष्टि हुई. यह जांच रिपोर्ट ब्यूरो ने 21 जुलाई 2022 को स्वायत्त शासन विभाग के निदेशक को भेजकर दोषियों के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति मांगी थी. 

ये थे भ्रष्टाचार के मामले

भ्रष्टाचार निरोधक द्वारा जांचे गए मामलों में कॉलोनी के भूखंड नंबर बदले जाना, स्ट्रिप ऑफ लैंड का बेचान कर दिए जाना, अतिक्रमियों को मकान के पट्टा जारी कर दिए जाना, नियम विरुद्ध निर्माण स्वीकृतियां जारी कर दिए जाना तथा अतिक्रमणों की रजिस्ट्री करवा दिए जाने जैसे कई मामले शामिल थे. इनमें तत्कालीन पालिकाध्यक्ष, तत्कालीन ईओ आरके गोयल, कनिष्ठ सहायक राजेश गुर्जर, सहित कर्मचारी विमल जैन, बशीर मोहममद, जेईएन तरूण लहरी, राम बाबू यादव, विद्यारतन, बुजमोहन श्रंगी, महावीर शर्मा सहित अन्य कम्रचरियों ने अपने पद का दुरूपयोग कर सरकार को करोडों रूपए का चूना लगाया. 

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2 सालों से फाइल दबाए बैठा डीएलबी

हालांकि अभी तक इन लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है. यहां तक, डीएलबी 2 सालों से फाइल को दबाए बैठा है. बताया जा है कि आरोपियों में से अधिकांश प्रभावशाली लोग हैं जो अपने रसूख का इस्तेमाल करके सारे मामले में अड़ंगा डाल देते हैं. 

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