Balaji Temple: सालासर बालाजी मंदिर का 270वां स्थापना दिवस आज, दाढ़ी-मूंछ वाले हनुमान जी का पहला मंदिर

Balaji Temple:  सालासर बालाजी मंदिर राजस्थान के चुरू जिले से सुजानगढ़ क्षेत्र में है. यह देश का अकेला ऐसा मंदिर है, जहां हनुमान जी की प्रतिमा दाढ़ी-मूंछ में हैं. दाढ़ी-मूंछ में यहां भगवान की मूर्ति होने के पीछे एक खास और रोचक कहानी है.

Advertisement
Read Time: 3 mins

Balaji Temple: सालासर बालाजी मंदिर का आज (14 अगस्त) को 270वां स्थापना दिवस मनाया जा रहा है. हनुमान सेवा समिति के अध्यक्ष यशोदानंदन पुजारी ने बताया कि सालासर बालाजी धाम का 270वां स्थापना दिवस आज मनाया जा रहा है. मंदिर में फूलों की आकर्षक सजावट की गई है, वहीं मंदिर में सभी जगह लाइटिंग की गई है, जिससे पूरा मंदिर दूधिया रोशनी में जगमगा रहा है. फूलों से भी खास सजावट की गई है, जिसके लिए अजमेर और जयपुर से खास कारीगर बुलाए गए हैं. 

पुजारी का दावा-सन 1754 मंदिर की हुई स्थापना  

पुजारी ने बताया कि संवत 1811 (सन 1754) की श्रावण शुक्ल नवमी शनिवार के दिन भगवान की मूर्ति सुजानगढ़ के नजदीकी नागौर जिले के आसोटा गाँव में प्रकट हुई थी, इसलिए हर साल इस दिन मंदिर में स्थापना दिवस मनाया जाता है. पुजारी ने बताया कि आज (14 अगस्त) को स्थापना दिवस के अवसर पर बालाजी का विशेष अलौकिक श्रृंगार किया गया है. दोपहर में विशेष आरती होगी. रात्रि में जागरण होगा. स्थापना दिवस को यहां के लोग त्योहार के तौर पर मनाते हैं.  

सालासर बाला जी मंदिर के स्थापना दिवस पर मंदिर को सजाया गया है.

दाढ़ी-मूंछ वाला पहला मंदिर

सालासर बालाजी मंदिर राजस्थान के चूरू जिले से सुजानगढ़ क्षेत्र में हैं. संभवत  यह देश का अकेला ऐसा मंदिर है, जहां हनुमान जी की प्रतिमा दाढ़ी-मूंछ में हैं. दाढ़ी-मूंछ में यहां भगवान की मूर्ति होने के पीछे एक खास और रोचक कहानी है. बताया जाता है कि एक संत मोहन दास महाराज अपनी बहन कान्ही बाई के घर भोजन कर रहे थे. इसी दौरान बालाजी (हनुमान जी) ने उन्हें साधु के वेश में दर्शन दिए. इसके बाद मोहन दास महाराज ने बालाजी को दाढ़ी-मूंछ में देखा तो उन्होंने दाढ़ी-मूंछ वाले बालाजी की प्रतिमा का ही शृंगार किया. 

सालासर में हैं दाढ़ी-मूंछ वाले हनुमान जी का मंदिर  

यही मूर्ति अब सालासर मंदिर में विराजमान है. हनुमान सेवा समिति के अध्यक्ष यशोदानंदन पुजारी ने बताया कि बाबा मोहनदास जी की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान हनुमानजी ने सालासर में विराजमान होने की इच्छा जताई थी. श्रावण शुक्ल नवमी संवत 1811 में मूर्ति की यहां स्थापना की गई. उन्होंने बताया कि यह देश का एकमात्र मंदिर है, जहां पर बालाजी का दाढ़ी-मूंछ में विराजित है. 

Advertisement

यह भी पढ़ें:  मौसम विभाग का आया नया अपडेट, साइक्लोनिक सर्कुलेशन से बारिश ने मचाई तबाही; जानें कब मिलेगी राहत