जब भी हम बस या ट्रेन से कोई सफर करते हैं तो सफर के दौरान गंतव्य स्थान से पूर्व स्टॉपेज और समय के बारे में भी जानकारी मुकम्मल करते हैं. लेकिन राजस्थान रोडवेज के चालक और परिचालक द्वारा इस जानकारी में लापरवाही बरतने और एक बुजुर्ग यात्री को छोड़कर चले आने का जुर्मान उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने राजस्थान रोडवेज पर लगाकर हिदायत दिए की विभाग की और से ऐसी गलती दोबारा ना हो दरअसल बात सिर्फ 40 रुपये रिफंड की हैं लेकिन किसी जिम्मेदार महकमें को सबक अपनी जिम्मेदारी से भटककर दूसरे व्यक्ति को तखलीफ़ में डालने की गलती दुबारा न हो ऐसा फैसला कोटा जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने दिया हैं.
यह था मामला
राजस्थान रोडवेज से टिकट के 40 रुपए रिफंड लेने के लिए जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग कोटा ने परिवादी कजोड़ मल बुजुर्ग के पक्ष में फैसला देते हुए मुख्य प्रबंधक राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम (RSRTC) जयपुर व प्रबंघक रोड़वेज कोटा को टिकट के 40 रूपए मय ब्याज के रिफंड करने के आदेश दिए। साथ ही 10 हजार क्षतिपूर्ति के निर्देश दिए है.
परिवादी के वकील लोकेश सैनी ने बताया कि नवंबर 2019 में कजोड़मल कोर्ट के काम से जयपुर गए थे. 25 नवंबर दोपहर को अपने दोस्त नवलकिशोर के साथ कोटा लौट रहे थे. उन्होंने राजस्थान रोडवेज की अलवर डिपो की बस में जयपुर से कोटा के लिए 500 रूपए में दो टिकट लिए थे. रोडवेज बस टोंक, देवली होते हुए बूंदी बस स्टैंड पहुंची. बूंदी में बस कंडक्टर ने 20 मिनट का ठहराव होना बताया था। कंडक्टर से पूछकर कजोड़मल टॉयलेट करने चले गए. इस बीच ड्राइवर व कंडक्टर ने 5 से 7 मिनट में ही बस रवाना कर दी। साथी नवल किशोर के कहने पर भी बस नहीं रोकी. कजोड़मल दूसरी बस में बैठकर कोटा आये. बस के कंडक्टर ने दूसरी बस के टिकट पर बूंदी से कोटा तक का सफर नही करने दिया। और 40 रूपए का नया टिकट बना दिया.
नवम्बर 2019 को कजोड़मल ने मुख्य प्रबंधक राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम (RSRTC) जयपुर व प्रबंघक रोडवेज कोटा को नोटिस भिजवाया. जिसका कोई जवाब आया ना ही टिकट की राशि रिफंड की गई कजोड़मल ने 21 जनवरी 2020 को जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग की शरण ली. और टिकट की राशि 250 + 40 =290 दिलाने व शारीरिक और मानसिक परेशानी की क्षतिपूर्ति के लिए 5 हजार व परिवाद खर्च 5 हजार कुल 10 हजार रूपए दिलाने की मांग की.