70 करोड़ की सीवरेज परियोजना के बाद भी डीडवाना को नहीं मिली गंदे पानी से मुक्ति, लोग परेशान

70 करोड़ रुपए की सीवरेज परियोजना के बाद भी डीडवाना शहर में गंदे पानी की समस्या बनी हुई है. नगर परिषद ने जल्दबाजी में सीवरेज लाइन तो शुरू करवा दी, लेकिन STP से निकलने वाले परिशोधित पानी का निस्तारण नहीं किया जा रहा है.

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डीडवाना में गंदे पानी के पोखर से घिरे मकान.

डीडवाना शहर में सात साल पहले 70 करोड़ रुपए की सीवरेज परियोजना शुरू की गई थी. इस परियोजना का उद्देश्य शहर से गंदे पानी की निकासी करना था. लेकिन इस परियोजना ने शहर में गंदे पानी की समस्या को और भी बढ़ा दिया है. अब डीडवाना शहर के चारों ओर गंदे पानी की झीलें बन गई हैं तो शहर की गलियों में सीवरेज का गंदा पानी बह रहा है. शहर के कई वार्ड और इलाकों के लोग गंदगी व कीचड़ के बीच नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं.

इस समस्या का मुख्य कारण है कि सीवरेज परियोजना के तहत बनाई गई एसटीपी से निकलने वाले परिशोधित पानी का निस्तारण नहीं किया जाना. नगर परिषद ने जल्दबाजी में सीवरेज लाइन तो शुरू करवा दी, लेकिन एसटीपी से निकलने वाले पानी के निस्तारण का पुख्ता प्रबंध नहीं किया.

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इस समस्या से निपटने के लिए नगर परिषद ने कई योजनाएं बनाई हैं, लेकिन ये योजनाएं आज तक धरातल पर नहीं उतर पाई हैं. इसके अलावा, नगर परिषद ने सीवरेज के दूसरे फेज को भी मंजूरी दे दी है. जबकि, पहले फेज में आने वाले सीवेज पानी का ही कोई निपटारा नहीं हो सका है.

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इस समस्या से परेशान शहरवासी कई बार नगर परिषद कार्यालय पहुंचे और इस समस्या का समाधान करने की मांग की. लेकिन, हर बार उन्हें निराशा ही हाथ लगी. जिस पर गुस्साए लोगों ने कई बार नगर परिषद कार्यालय के बाहर नारेबाजी और प्रदर्शन किया.

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कुछ इस तरह भरा है गन्दा पानी

सीवर के पानी से जहां जलभराव की स्थिति हो रही है, और शहरवासी परेशान है. वहीं इससे शहर के पारंपरिक तालाब दूषित हो चुके हैं तो वही प्राकृतिक नमक झील को भी नुकसान पहुंच रहा है. ऐसे में उत्थान विधिक सहायता एवं सेवा संस्थान उत्थान इस मामले को लेकर राजस्थान हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर करने की तैयारी में है.

नगर परिषद के इस कथित लापरवाही के कारण शहरवासियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इस समस्या का जल्द से जल्द समाधान होना चाहिए. इसके लिए नगर परिषद को हर संभव प्रयास करना चाहिए. साथ ही, सरकार को भी इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए और नगर परिषद को इस समस्या का समाधान करने के लिए निर्देश देना चाहिए.

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