Rajasthan News: हर साल की तरह इस बार भी कोटा में विजयदशमी के मौके पर लगने वाला दशहरा मेला खास होने वाला है. दिल्ली के कारीगर रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले को अंतिम रूप देने में लगे हुए हैं. 75 फीट का रावण इस बार भी विशाल और आकर्षक नजर आएगा. वो हाथ से तलवार घुमाएगा और अट्टहास करते नजर आएगा.
दिल्ली से आए कारीगर मेला परिसर के विशाल डॉम में रावण के कुनबे के पुत्रों को बांस और कागज से बनाकर तैयार कर रहे हैं. रावण बना रही टीम के सदस्य मोहम्मद मुस्लिम ने बताया कि एक महीने से करीब 10-12 कारीगर दिन-रात रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले बनाने में जुटे हुए हैं. 80 फीसदी से अधिक कार्य पूरा कर लिया गया है. जल्द ही रावण के कुनबे के आकर्षक पुतले तैयार हो जाएंगे.
प्रसिद्ध है कोटा का दशहरा मेला
आपको बता दें कि 125 साल से अधिक समय से कोटा में दशहरे मेले का आयोजन किया जा रहा है. कोटा नगर निगम की ओर से हर साल आयोजित होने वाले इस मेले में 20 दिन विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जिसमें हजारों की तादाद में शहरवासी पहुंचते हैं. वहीं मेले में अपने प्रतिष्ठान लगाने के लिए देशभर से व्यापारियों के आने का सिलसिला शुरू हो गया है. कोटा नगर निगम की ओर से मेला परिसर में उनको दुकान आवंटित की जा रही है.
राज परिवार सालों से निभा रहा पंरपरा
रियासत काल से ही कोटा में दशहरे मेले का आयोजन किया जा रहा है. इस पर्व की शुरुआत राज परिवार की ओर से आयोजित भगवान लक्ष्मी नारायण की सवारी के साथ होती है. भगवान लक्ष्मी नारायण की सवारी विजयदशमी के दिन शाम को कोटगढ़ पैलेस से राजसी अंदाज के साथ परंपरागत रूप से निकल जाती है जिसमें विभिन्न रियासतों के ठिकाने दर और शहर के प्रबुद्ध जन, जनप्रतिनिधि शामिल होते हैं. सवारी के दौरान लोक कलाकारों की अद्भुत प्रस्तुतियां इस साल भी देखने को मिलेगी. पूर्व राज परिवार सालों से इस परंपरा को निभाते आ रहा है. राज परिवार के सदस्य भगवान लक्ष्मी नारायण की सवारी के साथ दशहरा मैदान पहुंचते हैं और रावण की नाभि में तीर मार कर रावण का वध करने की रवायत को निभाते हैं. रावण दहन के साथ ही कोटा में 20 दिन का दशहरे मेले का आगाज होता है, जिसमें लाखों लोग पहुंचते हैं.