Survey on Kota Students: कोटा में 83 बच्चे डिप्रेशन का शिकार, 6000 बच्चों पर हुए सरकारी सर्वे में खुलासा

कोटा में बढ़ते बच्चों के सुसाइड केस को देखते हुए चिकित्सा विभाग ने ये सर्वे किया है, जिसमें 6000 बच्चों से बात की गई है, और उनके जवाबों के आधार पर रिपोर्ट तैयार की गई है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर.

Rajasthan News: 'एजुकेशन हब' कहे जाने वाले राजस्थान के कोटा शहर में 83 बच्चे डिप्रेशन का शिकार हो चुके हैं. हाल ही कोटा के 6000 बच्चों पर किए गए एक सरकारी सर्वे में इसका खुलासा हुआ है. सर्वे के अनुसार, सभी 83 बच्चे कोटा में रहकर ही IIT और NEET की तैयारी कर रहे हैं. इन बच्चों के डिप्रेशन का कारण पढ़ाई है. सर्वे के मुताबिक, कोटा की पढ़ाई में बहुत ज्यादा कम्पटीशन होने से बच्चे पढ़ाई का लोड नहीं उठा पा रहे हैं, जिस कारण छोटी सी उम्र में स्टूडेंट्स में स्ट्रेस लेवल बढ़ता जा रहा है. 

अब तक 26 बच्चों ने किया सुसाइड

कोटा में करीब 2 लाख बच्चे पढ़ते हैं, जिन्हें तनाव मुक्त करने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं. उसके बावजूद इस साल अब तक 26 बच्चे आत्माहत्या कर चुके हैं. आलम ये है कि कुछ दिन की रोक के बाद दोबारा मंथली परीक्षा शुरू हो गई हैं. ऐसी में ये बच्चों के डिप्रेशन वाला ये आंकड़ा पेरेंट्स की चिंता बढ़ाने वाला है. कोटा के चीफ मेडिकल हेल्थ ऑफिसर जगदीश सोनी की मानें तो 'डिप्रेशन की दो-तीन वजह होती हैं. कुछ बच्चे 9वीं से 10वीं तक ही इस फेज में आ जाते हैं. जब वे कम्पटीशन क्लियर नहीं कर पाते तो खुद से सवाल पूछने लगते हैं. मुझे कुछ नहीं आ रहा है..कुछ नहीं आ रहा. और ऐसे में वो डिप्रेशन में चले जाते हैं.

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डेढ़ महीने तक चले सर्वे में खुलासा

कोटा के चिकित्सा विभाग द्वारा ये सर्वे शहर में बच्चों के सुसाइड केस बढ़ने के बाद किया गया है. डेढ़ महीने तक चले इस सर्वे में बच्चों से कई सवाल पूछे गए, जिनके जवाब के आधार पर ये रिपोर्ट तैयार की गई है. इसमें सबसे जरूरी सवाल यही था कि क्या उन्हें नींद आती है? क्या वो लगतार तनाव महसूस करते हैं? क्या वो काम पर ध्यान दे पाते हैं या नहीं? इस सर्वे में डिप्रेशन का एक दूसरा कारण 'छोटी उम्र में बच्चों का घर से दूर रहना' बताया गया है. एक बच्चे पियूष ने कहा, 'मैं घर से अकेला आया हूं. कोई बात करने वाला नहीं होता है. 6/6 के कमरे में रहता हूं. घर से क्लास, क्लास से घर, वही रूटीन रहता है.' वहीं नीट स्टूडेंट नायाब कमल ने कहा, 'टाइम अगर गड़बड़ा गया तो बहुत दिक्कत होती है. थोड़ा नर्वस होते हैं. अगर टेस्ट अगले हफ्ते है, नंबर नहीं आए तो डिमोटिवेट होते हैं.'

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कोटा भेजने से पहले ये बातें रखें याद

इस साल कोटा में सबसे ज्यादा आत्माहत्या की घटनाएं हुई हैं. पुलिस कंट्रोल रूम में भी 40 से अधिक ऐसे कॉल आए हैं जिसमें बच्चे आत्माहत्या के बारे में सोच रहे थे. प्रशासन पहल कर रही है कि बच्चों का तनाव कम हो. वहीं विशेषज्ञ कहते हैं कि जब तक बच्चे में काबिलियत न हो, तब तक बच्चों को कोचिंग में दाखिला नहीं मिलना चाहिए.  दूसरा बच्चों को कोटा कच्ची उम्र में नहीं, बल्कि स्कूल की पढ़ाई खत्म करने के बाद ही भेजना चाहिए. जब वो IIT और NEET की पढ़ाई का स्ट्रेस के लिए तैयार हों. 

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