राजस्थान का वह गांव जहां मूलभूत सुविधा तो दूर पैदल चलने के लिए सड़क तक नहीं, इलाज के लिए खाट पर लाए जाते हैं मरीज

बीमार को इलाज के लिए डॉक्टर के पास ले जाने के लिए चार कंधों पर खाट पर ले जाना पड़े तो यह सोच कर भी रूह कांप उठती है. लेकिन खोरापाड़ा गांव में ऐसा ही हुआ.

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Rajasthan News: राजस्थान में आदिवासियों के विकास के लिए सरकार और नेता दावे तो बहुत बड़े-बड़े करते हैं. लेकिन धरातल पर उनको कितनी सुविधाएं मिल रही है यह देखने की फुर्सत किसी को नहीं है. विकास की सैकड़ों बातें लेकिन सारी चीजें सच्चाई से पड़े है. ताजा मामला प्रतापगढ़ के पीपलखूंट उपखण्ड की नवगठित ग्राम पंचायत महुवाल के खोरापाड़ा गांव का है. यहां रहने वाले लोगों को दूसरी सुविधाएं तो दूर की बात है, आने-जाने के लिए सड़क भी नसीब नहीं हुई है. 

अगर किसी बीमार को इलाज के लिए डॉक्टर के पास ले जाने के लिए चार कंधों पर खाट पर ले जाना पड़े तो यह सोच कर भी रूह कांप उठती है. लेकिन खोरापाड़ा गांव में ऐसा ही हुआ जहां एक बच्चा बीमार हुआ तो उसे खाट पर ले जाना पड़ा. जबकि इससे पहले एक प्रसव महिला को भी खाट पर ही ले जाना पड़ा.

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200 घरों की आबादी वाले गांव में नहीं है मूलभूत सुविधाएं

ग्रामीणों ने बताया कि ग्राम पंचायत महुवाल के खोरापाड़ा गांव में सड़क नहीं होने से ग्रामीणों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. बरसात के दिनों में तो हालात बदतर हो जाते हैं. नेता लोग आते हैं और वादे करके चले जाते हैं. 200 घरों की आबादी वाले इस गांव में दूसरी मूलभूत सुविधाएं तो छोड़ें सड़क का नामोनिशान तक नहीं है. सड़क नहीं होने से लोगों को आने-जाने में काफी परेशानी होती है. खास तौर पर बीमारी के समय तो मुसीबत और बढ़ जाती है. ऐसा ही वाकया बीते मंगलवार सामने आया जब गांव के ही रहने वाले सुखलाल की पत्नी बीमार हो गई. और आज मौसमी बीमारी से एक बच्चे की तबियत खराब हो गई. 

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गांव में नहीं है चिकित्सा सुविधा

गांव में चिकित्सा सुविधा नहीं होने से उसे परिजन खाट पर लेकर घर से निकले, उबड़ खाबड़ रास्तों से गिरते पड़ते यह मुख्य सड़क पर आए और यहां से उसे पीपलखूंट स्वास्थ्य केंद्र पर ले गए. 2 दिन पहले भी इसी गांव में तेज बरसात के दौरान एक महिला को प्रसव पीड़ा हुई. लेकिन रास्ते बंद होने से गांव में ही उसका प्रसव करवाना पड़ा. हालांकि कोई अनहोनी नहीं हुई. ग्रामीणों ने आवागमन के लिए सड़क बनवाने की मांग की है. ग्रामीणों ने यह भी बताया कि गांव में शमशान घाट भी नही होने से परेशानी हो रही है बरसात के मौसम में गांव की किसी सदस्य का निधन हो जाने पर तिरपाल पकड़ कर लोग अग्नि देते है. साथ ही गांव में हैंडपंप भी नही है क्यों कि बोरवेल का वाहन भी गांव तक नहीं पहुंच सकता है. सरकार को पीपलखूंट के घंटाली क्षेत्र की और ध्यान देने की आवश्यकता है. यह क्षेत्र बांसवाड़ा ज़िले की घाटोल विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा है लेकिन प्रतापगढ़ ज़िले में शामिल है.

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