राजस्थान के सीकर जिले के श्रीमाधोपुर में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision-SIR) के दौरान एक युवक के पास सात EPIC कार्ड (मतदाता पहचान पत्र) मिलने से सियासी हलचल मच गई. युवक की पहचान 18 वर्षीय मेघराज पटवा के रूप में हुई है. बताया जा रहा है कि उसने पिछले साल चुनाव आयोग के ऑनलाइन पोर्टल पर फॉर्म-6 कई बार भर दिया था, जिसके चलते उसे सात अलग-अलग वोटर कार्ड जारी कर दिए गए.
मामले को लेकर कांग्रेस ने भाजपा सरकार पर निशाना साधा. इंडियन यूथ कांग्रेस ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा, “श्रीमाधोपुर का रहने वाला ये युवा मेघराज पटवा है. कुछ दिनों पहले मेघराज ने वोटर आईडी के लिए आवेदन किया था.उसके घर पर एक नहीं, पूरे 7 वोटर आईडी कार्ड पहुँचे. सब कार्डों पर अलग-अलग EPIC नंबर हैं. जब युवक ने शिकायत की, तो स्थानीय प्रशासन हरकत में आने के बजाय उसी पर दबाव बनाने लगा कि वह इस फ्रॉड को छुपाए.
''चुनाव आयोग सबसे कलंकित संस्था बन चुका है''
यूथ कांग्रेस ने लिखा कि सोचिए अगर ECI गलती से एक नागरिक को 7 बार वोट डालने का अधिकार दे सकती है. तो भाजपा के दबाव में बैठे उनके कार्यकर्ताओं के लिए सैकड़ों फर्जी वोट बनवाना और थोक में मतदान करवाना क्या मुश्किल होगा? ठीक ऐसा ही खुलासा राहुल गांधी जी ने किया था. फर्जी वोटर आईडी, डुप्लिकेट वोट, और लोकतंत्र की खुली लूट. आज का चुनाव आयोग, भारतीय लोकतंत्र के इतिहास की सबसे कलंकित संस्था बन चुका है.
चुनाव विभाग के अधिकारी ने बताया कि पटवा के पास सात अलग-अलग नंबर वाले कार्ड मिले हैं, जिनमें से छह पर एक जैसी तस्वीर है. उन्होंने बताया कि जब वह 17 वर्ष का हुआ था, तब उसने गलती से फॉर्म-6 सात बार भर दिया था. सभी कार्ड पिछले वर्ष ही जारी हुए थे.
बीएलओ (BLO) के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी
अधिकारी ने आगे बताया कि विभाग संबंधित बीएलओ (BLO) के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी, जिसने बिना जांच किए सातों आवेदन मंजूर कर दिए. BLO की जिम्मेदारी थी कि वह मतदाता सूची की जांच करता और डुप्लीकेट आवेदन रद्द करता. उसकी लापरवाही पर कार्रवाई की जाएगी. हालांकि, पटवा ने SIR के दौरान सिर्फ एक फॉर्म भरा है और उसके अन्य डुप्लीकेट नाम अंतिम मतदाता सूची से हटा दिए जाएंगे.
अब तक 4.25 करोड़ से अधिक फॉर्म बांटे जा चुके हैं
राजस्थान में SIR की प्रक्रिया 4 नवंबर से शुरू हुई है. यह दूसरे चरण का हिस्सा है, जिसके तहत बीएलओ घर-घर जाकर मतदाताओं को एन्यूमरेशन फॉर्म (EF) वितरित कर रहे हैं. अब तक 4.25 करोड़ से अधिक फॉर्म बांटे जा चुके हैं, जो राज्य के 78 प्रतिशत मतदाताओं को कवर करते हैं. झालावाड़ सबसे आगे है, जबकि झुंझुनूं की रफ्तार धीमी है. लक्ष्य दिसंबर की शुरुआत तक घर-घर सत्यापन और डेटा डिजिटलीकरण पूरा करने का है. विभाग के अनुसार, राज्य के करीब 3.87 करोड़ मतदाताओं को किसी दस्तावेज की जरूरत नहीं होगी, क्योंकि उन्हें पहले ही एक आंतरिक सर्वे के तहत सत्यापित किया जा चुका है.