Rajasthan News: राजस्थान पुलिस क्राइम ब्रांच के एडीजी दिनेश एमएन (IPS Dinesh MN) ने शुक्रवार को सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया है जो इस वक्त चर्चाओं का विषय बना हुआ है. इस पोस्ट के जरिए उन्होंने राजस्थान पुलिस (Rajasthan Police) को बधाई देते हुए पिछले 4 सालों में हुए फायर आर्म्स के उपयोग (Firing Cases) का डेटा जारी किया है. इसमें बताया गया है कि 2023 के मुकाबले 2024 में फायरिंग प्रकरण में करीब 42 प्रतिशत की कमी आई है.
दिनेश एमएन ने पूरी टीम को दी बधाई
दिनेश एमएन ने इस पोस्ट के कैप्शन में लिखा, '2024 की पहली छमाही में गोलीबारी की घटनाओं में कमी लाने के लिए राजस्थान पुलिस को बधाई. राजस्थान पुलिस के निरंतर प्रयासों से इस वर्ष अपराधियों द्वारा गोलीबारी की घटनाओं में हत्या और घायल होने की घटनाओं में भारी कमी आई है. Congratulations to Rajasthan Police.'
2022 में दर्ज हुए थे सबसे ज्यादा मामले
डेटा के अनुसार, वर्ष 2022 में जून तक फायरिंग के सबसे ज्यादा 272 मामले दर्ज हुए थे, जिनकी वजह से 151 लोग घायल हुए थे, जबकि 30 लोगों की मौत हो गई थी. हालांकि वर्ष 2023 जून तक यह मामले घट कर 265 पर आ गए थे. लेकिन इस दौरान घायलों की संख्या बढ़कर 183 हो गई थी, जबकि मृतकों की संख्या 27 रही थी. वर्ष 2021 के आंकड़ों पर गौर करें तो जून तक फायरिंग के 223 मामले दर्ज किए गए थे. इस दौरान 129 लोग घायल हुए थे, जबकि 32 लोगों की मौत हो गई थी.
2024 में फायरिंग के कितने केस?
वर्ष 2024 के डेटा की बात करें तो जून तक सिर्फ 154 मामले दर्ज हुए हैं, जिनमें घायलों की कुल संख्या 74 और मृतकों की संख्या 15 है. पिछले साल के मुकाबले दर्ज केस की संख्या में करीब 42 प्रतिशत, घायलों की संख्या में करीब 60 प्रतिशत और मृतकों की संख्या में करीब 45 प्रतिशत की गिरावट आई है. वहीं, इस 2024 के डेटा को 2022 के डेटा से कंपेयर करें तो दर्ज केस की संख्या में करीब 44 प्रतिशत, घायलों की संख्या में करीब 51 प्रतिशत और मृतकों की संख्या में 50 प्रतिशत की गिरावट आई है.
भजनलाल सरकार की प्राथमिकता
बताते चलें कि राजस्थान में 15 दिसंबर 2023 को बनी बीजेपी की नई सरकार पहले दिन से ही अपराध और अपराधियों पर सख्ती करे हुए हैं. सीएम भजनलाल शर्मा खुद कई बार खुले मंच से यह कह चुके हैं कि उनकी सरकार जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रही है. अगर राजस्थान में कोई अपराध करेगा तो उसे सजा जरूर मिलेगी. फिर चाहे वो नेता हो या कोई हार्डकोर अपराधी. किसी को भी बक्शा नहीं जाएगा. उस वक्त सरकार ने दिनेश एमएन को इसकी जिम्मेदारी सौंपी थी, जिसके परिणाम छह महीने के अंदर ही नजर आने लगे हैं.