Jhalawar News: रात के अंधेरे में अतिक्रमण तोड़ने पहुंचा प्रशासन, लोगों के विरोध के बाद लौटा बैरंग

दुकान के मालिक धर्मराज सिंह ने बताया कि उनकी दुकान अतिक्रमण नहीं है और कभी इस सिलसिले में नगर परिषद ने उन्हने कभी नोटिस नहीं दिया. उन्हें रात में समय सूचना मिली कि उनके निर्माण को तोड़ दिया गया है और वहां पर रखे दरवाजे पलंग और दूसरा समान भी नगर परिषद के दस्ते द्वारा ट्रैक्टर में भरकर ले जाये गए.

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झालावाड़ शहर के झालरापाटन रोड़ पर खंडिया तालाब के किनारे झालावाड़ नगर परिषद का अतिक्रमण दस्ता और तहसीलदार को रात के अंधेरे में कथित अतिक्रमण तोड़ना भारी पड़ गया. मौके पर बड़ी तादाद में लोग एकत्रित हो गए. जिनके विरोध के बाद पूरा प्रशासनिक अमला उल्टे पांव वापस तो लौटा ही, साथ ही दस्ते द्वारा जो निर्माण ध्वस्त करके सामान जब्त कर ट्रैक्टर में भरवा कर अन्यत्र भिजवा दिया गया था. उसको भी मौके पर वापस मंगवा कर देना पड़ा. कुल मिलाकर पूरे मामले में प्रशासन बेहद लाचार नजर आया.

मिली जानकारी के अनुसार झालावाड़ के झालरापाटन मुख्य मार्ग पर खंड्या तालाब के किनारे कुछ व्यावसायिक दुकानें बनी हुई हैं. उन्हीं दुकानों के बीच एक निर्माण को रात के अंधेरे में नगर परिषद के दस्ते द्वारा तोड़ दिया गया. उसे वक्त वहां पर दुकान मालिक या अन्य कोई जिम्मेदार व्यक्ति मौजूद नहीं था.

दूकान तोड़ी और सामान उठा ले गए 

दुकान के मालिक धर्मराज सिंह ने बताया कि उनकी दुकान अतिक्रमण नहीं है और कभी इस सिलसिले में नगर परिषद ने उन्हने कभी नोटिस नहीं दिया. उन्हें रात में समय सूचना मिली कि उनके निर्माण को तोड़ दिया गया है और वहां पर रखे दरवाजे पलंग और दूसरा समान भी नगर परिषद के दस्ते द्वारा ट्रैक्टर में भरकर ले जाये गए.

जवाब नहीं दे पाए अधिकारी 

धर्मराज सिंह का आरोप है कि यदि उनकी दुकान अतिक्रमण है तो फिर आसपास की दुकानें भी अतिक्रमित हैं. धर्मराज सिंह के सवाल का मौके पर मौजूद तहसीलदार नरेंद्र मीणा समेत अतिक्रमण दस्ता कोई जवाब नहीं दे पाया और नोटिस की बात पर भी अधिकार टालमटोल करते रहे. ऐसे में कुछ देर बाद वहां बड़ी तादाद में लोग इखट्टा हो गए और भारी विरोध किया. जिसके चलते नगर परिषद के दस्ते और तहसीलदार को उल्टे पांव वापस लौटना पड़ा और ट्रैक्टर में भरकर ले जाया गया सामान भी वापस मंगवा कर देना पड़ा.

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तहसीलदार को सुनाई खरी खोटी

हंगामे की सूचना पर झालावाड़ शहर कोतवाली पुलिस और झालरापाटन थाना पुलिस भी मौके पर पहुंची और लोगों से समझाइश का प्रयास किया. लेकिन लोग जरा भी नहीं माने, उन्होंने नगर परिषद पर सीधे-सीधे पैसे लेकर कार्रवाई करने का आरोप लगा दिया. लोगों ने तहसीलदार से पूछा कि यहां आस-पास भी कई अतिक्रमण है ऐसे में इसी दुकान को क्यों तोड़ा गया? तो तहसीलदार कोई जवाब नहीं दे पाए. 

वहीं मौके पर मौजूद तहसीलदार नरेंद्र मीणा ने बताया कि उनको नगर परिषद के दस्ते द्वारा हंगामे की सूचना दी गई थी जिसके बाद वह मौके पर आए हैं, उन्हें नोटिस के बारे में यह जानकारी दी गई की नोटिस चस्पा कर दिया गया है. साथ ही उन्होंने कहा कि उनसे पूर्व नगर परिषद के कार्यवाहक आयुक्त द्वारा अतिक्रमण हटाने के आदेश जारी किए गए थे. सामान वापस देने और बिना पूरा अतिक्रमण हटाए वापस लौटने के मामले में वह कुछ जवाब नहीं दे पाए.

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