Ajmer News: 35 दिन के नौनिहाल से परिवार ने मोड़ा मुंह, मां की नहीं मिली गोद तो भेजा अनाथालय

Rajasthan News: करीब 30 दिन पहले पीड़िता ने जनाना अस्पताल में शिशु को जन्म दिया था. दुर्भाग्य से मां के इनकार के बाद नवजात के नाना-नानी ने भी उसे अपनाने से इनकार कर दिया.

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गोद में 35 दिन का नवजात

Ajmer News: राजस्थान के अजमेर जिले में एक ऐसा नजारा सामने आया जिसने मां की ममता को झकझोर कर रख दिया. जब पोक्सो एक्ट के तहत दर्ज मामले में पीड़िता ने अपने 35 दिन के नवजात को अपनाने से इनकार कर दिया. करीब 30 दिन पहले पीड़िता ने जनाना अस्पताल में शिशु को जन्म दिया था. दुर्भाग्य से मां के इनकार के बाद नवजात के नाना-नानी ने भी उसे अपनाने से इनकार कर दिया. इसके बाद सोमवार शाम करीब 5 बजे चाइल्ड लाइन के जरिए बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) को बच्चा सौंप दिया गया. समिति ने बच्चे को शिशुगृह भेज दिया है.

मां के मना करने पर समिति ने भेजा शिशुगृह

मामले को लेकर बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष अंजलि शर्मा ने बताया कि अस्पताल प्रशासन और थाना पुलिस ने समय पर समिति को सूचना नहीं दी. पीड़ित परिवार ने जब बच्चे को अपनाने से मना कर दिया तो अस्पताल ने समिति को पत्र लिखकर स्थिति से अवगत कराया. बच्चे की उम्र 35 दिन दर्ज की गई है.

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पहले  इंकार , फिर माने 

 नवजात को अपनाने से इनकार के बाद चाइल्ड लाइन के अधिकारियों ने परिवार से बात की, जिसके बाद वे बच्चे को अपनाने के लिए राजी हो गए. हालांकि, शुरुआती अस्वीकृति को ध्यान में रखते हुए अब बाल कल्याण समिति विस्तृत जांच और सत्यापन के बाद ही बच्चे को परिवार को सौंपेगी. लेकिन जेजे एक्ट 2015 के तहत अगर कोई परिवार नवजात को अपनाने से इनकार करता है तो उसे सरेंडर डीड जमा करानी होगी.

बच्चा खरीद फरोख्त का ना हो शिकार

समजाइश के बाद परिवार मान गया लेकिन समिति ने उसे शिशुगृह ही भेज दिया. क्योंकि अब वह  सुनिश्चित करेगी कि बच्चा किसी और को न दिया जाए. या किसी तरह की तस्करी का शिकार न हो. जेजे एक्ट के प्रावधानों के अनुसार, बच्चे के अच्छे भविष्य को ध्यान में रखते हुए ही कोई भी निर्णय लिया जाएगा. परिवार के सदस्यों से हलफनामा लेने और सामाजिक व आर्थिक जांच के बाद ही अंतिम रूप से बच्चे को सौंपना संभव होगा.

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यह है जे जे एक्ट

जेजे एक्ट (Juvenile Justice Act) एक कानून है जो बच्चों की सुरक्षा, देखभाल और पुनर्वास सुनिश्चित करता है. अनाथ या त्यागे गए बच्चों को वैधानिक प्रक्रिया के तहत दत्तक (adoption) दिया जाता है, बाल कल्याण समिति बच्चे को लीगल फ्री करती है और दत्तक ग्रहण एजेंसी की मदद से पूरा सत्यापन किया जाता है.

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