Rajasthan: “राजधन का गबन चाहे 1 रुपए का हो या 1 करोड़ का, आरोपी नहीं बच सकते”- कोर्ट का बड़ा आदेश

Rajasthan News: कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि राजधन (सरकारी धन) का गबन चाहे 1 रुपए का हो या 1 करोड़ का, आरोपी किसी भी स्थिति में नहीं बच सकते. इस मामले में कोर्ट ने बटालियन की तत्कालीन डिप्टी कमांडेंट यशस्विनी राजौरिया समेत चार पुलिस अधिकारियों के खिलाफ गबन को प्रथमदृष्टया अपराध मानते हुए गिरफ्तारी के आदेश जारी किए हैं. 

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Ajmer News
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 Ajmer Court News: राजस्थान के अजमेर स्थित नारेली में हाड़ीरानी महिला बटालियन में वर्ष 2015 में आयोजित स्पोर्ट्स टूर्नामेंट के दौरान सरकारी राशि के गबन के एक बड़े मामले में अदालत ने कड़ा रुख अपनाया है. कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि राजधन (सरकारी धन) का गबन चाहे 1 रुपए का हो या 1 करोड़ का, आरोपी किसी भी स्थिति में नहीं बच सकते. इस मामले में कोर्ट ने बटालियन की तत्कालीन डिप्टी कमांडेंट यशस्विनी राजौरिया समेत चार पुलिस अधिकारियों के खिलाफ गबन को प्रथमदृष्टया अपराध मानते हुए गिरफ्तारी के आदेश जारी किए हैं. 

फर्जी बिलों से किया सरकारी धन का गबन 

मामले की विस्तृत जांच में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि वर्ष 2015 के उस स्पोर्ट्स टूर्नामेंट के आयोजन के लिए केंद्रीय फंड से करीब 1.10 लाख और अजमेर विकास प्राधिकरण (ADA) से 39 हजार की राशि प्राप्त हुई थी.
इन पैसों का दुरुपयोग करने के लिए पुलिस अधिकारियों ने चाय-नाश्ता और भोजन के नाम पर फर्जी बिल तैयार कर सरकारी धन को लूटा.

जांच में खुली फर्जी बिलों की पोल

 जांच में सामने आया कि "आगरा गेट ओम चाट भंडार", "नज़ीर फ्रूट भंडार", "रामदेव हलवाई" और "वड़ापाव भंडार" जैसी कई छोटी दुकानों के नाम पर हजारों रुपए के बिल बना दिए गए. हैरानी की बात यह है कि जांच के दौरान इनमें से कोई भी दुकान अस्तित्व में नहीं पाई गई.इतना ही नहीं, टूर्नामेंट समाप्त हो जाने के काफी बाद भी "स्टार भारत दुकान" के नाम से ₹17 हज़ार के ट्रैक सूट का बिल बनाकर उसका भुगतान भी करा लिया गया। इस तरह फर्जीवाड़े से सरकारी फंड को सुनियोजित तरीके से लूटा गया.

 ASP यशस्विनी राजौरिया को अदालत में होगी पेशी

अदालत के आदेश के अनुसार, तत्कालीन डिप्टी कमांडेंट यशस्विनी राजौरिया वर्तमान में पुलिस भर्ती एवं पदोन्नति बोर्ड, जयपुर में एडिशनल एसपी के पद पर कार्यरत हैं. उनके साथ, आरोपियों में डीएसपी घनश्याम वर्मा, हेड कांस्टेबल पूजा तंवर और गोविंद सिंह शामिल हैं. अदालत ने इन्हें 11 अक्टूबर तक गिरफ्तार कर पेश करने के आदेश जारी किए हैं. कोर्ट ने माना कि सरकारी धन के गबन के लिए प्रस्तुत फर्जी बिलों और गलत भुगतानों के सबूत पर्याप्त हैं, इसलिए अब बचने की कोई गुंजाइश नहीं है.

 जांच अधिकारियों पर भी गिरी गाज

कोर्ट ने यह भी माना कि मामले की जांच करने वाले अलवर गेट थाने के तत्कालीन अधिकारी और एसआई ने आरोपियों को बचाने की कोशिश की थी. जांच में जानबूझकर देरी की गई और लंबे समय तक साक्ष्य पेश नहीं किए गए. इस लापरवाही पर अदालत ने आईजी अजमेर रेंज को निर्देश दिया है कि जांच में लापरवाही बरतने वाले सभी अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाए. 

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