Waqf Bill News: अजमेर दरगाह के खादिम ने वक्फ बिल का किया समर्थन तो AIMIM का बयान- समाज इनसे दूरी बनाए

Waqf Bill Passed: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) और एआईएमआईएम समेत कई संगठनों ने इस समर्थन की कड़े शब्दों में आलोचना की है.

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अजमेर दरगाह के खादिम की ओर से बिल के समर्थन पर मुस्लिम संगठनों ने निंदा की.

Waqf Bill: राजस्थान के कई मुस्लिम संगठनों ने वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 का समर्थन करने वाले समुदाय के नेताओं की कड़ी निंदा करते हुए लोगों से उनसे ‘दूरी बनाए रखने' की अपील की है. अजमेर दरगाह के खादिम और चिश्ती फाउंडेशन के संस्थापक सलमान चिश्ती और सैयद नसीरुद्दीन ने इस विधेयक का खुलकर समर्थन किया है. दोनों ने इसे ‘प्रगतिशील' करार दिया है, जिसके बाद समुदाय के संगठनों ने इन पर तीखी प्रतिक्रिया जताई है. सलमान चिश्ती ने हाल ही में एक प्रकाशित आलेख में वक्फ विधेयक को मुस्लिम समुदाय के लिए ‘प्रगतिशील' बताया है. वहीं, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) की सदस्य नसीरुद्दीन यास्मीन फारूकी ने इस समर्थन की कड़े शब्दों में आलोचना की है. उन्होंने कहा, “ये लोग उस विधेयक का समर्थन कर रहे हैं जो समुदाय की सामूहिक संपत्ति को छीन लेगा. इन्होंने मुसलमानों के खिलाफ भेदभाव को संस्थागत रूप देने का समर्थन किया है. यह दाग इनके साथ जीवनभर रहेगा.”  

"मुसलमान दिखाएंगे काले झंडे"

राजस्थान मुस्लिम एलायंस के समन्वयक मोहसिन रशीद ने कहा कि समुदाय के लोगों को उन व्यक्तियों से दूरी बनानी चाहिए, जिन्होंने समुदाय के हितों के खिलाफ जाकर विधेयक का समर्थन किया. उन्होंने कहा, “मुसलमान अपने लोकतांत्रिक अधिकारों का प्रयोग करते हुए सार्वजनिक रूप से काले झंडे दिखाएंगे, जो इस विधेयक के प्रति उनकी अस्वीकृति का स्पष्ट संदेश होगा.” 

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AIMIM प्रमुख बोले- इन्होंने निजी स्वार्थ के लिए मुस्लिम हितों से किया समझौता

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के राजस्थान अध्यक्ष जमील खान ने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इन नेताओं का उपयोग यह दिखाने के लिए किया कि मुस्लिम समुदाय विधेयक के पक्ष में है. उन्होंने कहा, “हकीकत में, इन्होंने निजी स्वार्थ के लिए मुस्लिम हितों से समझौता किया है.” खान ने आगे दावा किया कि दोनों ने केंद्र सरकार से बिना शर्त समर्थन के बदले यह रुख अपनाया है.

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अजमेर दरगाह के खादिमों ने कही थी ये बात

राजस्थान के एक मुस्लिम संगठन के वरिष्ठ सदस्य ने कहा, “इनका रुख मुसलमानों के सामूहिक हितों के खिलाफ है और लोग इनकी राय को पूरी तरह खारिज कर देंगे.” इससे पहले, अजमेर दरगाह के खादिमों और मौलवियों की प्रमुख संस्था ने भी सलमान चिश्ती और नसीरुद्दीन की आलोचना की थी. संस्था ने इन्हें मुस्लिम हितों के खिलाफ काम करने वाले ‘नॉन-स्टेट एक्टर्स' करार दिया है.

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