Ajmer Dargah: अजमेर दरगाह परिसर में मंदिर के दावे पर कोर्ट में सुनवाई, अगली तारीख 19 जुलाई

Ajmer Dargah: हिंदू सेना प्रमुख विष्णु गुप्ता ने तीन प्रमुख दावे पेश किए. दरगाह कमेटी ने आपत्ति जताई है. 

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अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की ऐतिहासिक दरगाह परिसर को लेकर चल रहे विवाद में आज (31 मई) न्यायिक मजिस्ट्रेट संख्या-2 की अदालत में सुनवाई हुई. (फाइल फोटो)

Ajmer Dargah: अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की ऐतिहासिक दरगाह परिसर को लेकर चल रहे विवाद में आज (31 मई) न्यायिक मजिस्ट्रेट संख्या-2 की अदालत में सुनवाई हुई. हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता द्वारा दायर याचिका में दावा किया गया है कि दरगाह परिसर में पहले संकट मोचन शिव मंदिर स्थित था. इस याचिका में तीन आधारों पर मंदिर होने का दावा किया गया है. दरवाजों की बनावट व नक्‍काशी, जो मंदिरों जैसी है, ऊपरी संरचना में मंदिर जैसे अवशेष दिखना और परिसर में जल-स्रोत व झरनों की मौजूदगी, जो प्राचीन शिव मंदिरों की विशेषता मानी जाती है. 

वादी ने रखा अपना पक्ष 

वादी पक्ष की ओर से अधिवक्ता योगेंद्र ओझा ने कोर्ट में तर्क दिया कि इस प्रकरण में केंद्र सरकार को पक्षकार बनाए बिना भी सुनवाई हो सकती है, जबकि दरगाह कमेटी और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की ओर से आपत्ति जताई गई कि केंद्र को पार्टी बनाए बिना यह याचिका स्वीकार नहीं की जा सकती. दरगाह कमेटी के अधिवक्ता अशोक माथुर ने बताया कि ASI के वकील बसंत विजयवर्गीय ने पिछली सुनवाई में यह अर्जी लगाई थी कि केंद्र सरकार को पार्टी न बनाने पर याचिका खारिज की जाए. 

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हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने याच‍िका दायर क‍िया है.

वादी पक्ष ने बहस के ल‍िए मांगा समय 

वादी पक्ष ने इस मुद्दे पर बहस के लिए समय मांगा, जिसे अदालत ने स्वीकार करते हुए अगली सुनवाई की तारीख 19 जुलाई तय की है.  इसके साथ ही दरगाह कमेटी की ओर से दाखिल 7/11 की अर्जी पर भी बहस उसी दिन होगी. 

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'पृथ्वीराजविजय' ग्रंथ का हवाला भी दिया

गुप्ता ने अपने दावे के समर्थन में 'पृथ्वीराजविजय' नामक ग्रंथ का हवाला भी दिया है, जिसमें उनके अनुसार मंदिर से जुड़े ऐतिहासिक तथ्य दर्ज हैं.  अब इस मामले में अगली सुनवाई में वादी और प्रतिवादी पक्ष की दलीलों के आधार पर अदालत कोई निर्णय ले सकती है. 

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