ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह, जहां धागों और चिठ्ठियों में मन्नतें लिए पहुंचते हैं जायरीन

ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह सदियों से अकीदतमंदों की आस्था का केंद्र बनी हुई है. यहां रोजाना हजारों लोग अपनी मन्नतें लेकर आते हैं और मन्नत पूरी होने पर शुकराना अदा करते हैं. यही वजह है कि ख्वाजा साहब को गरीब नवाज़ भी कहा जाता है.

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दरगाह में धागा बांधती मुश्लिम महिला
Ajmer:

ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह सदियों से अकीदतमंदों की आस्था का केंद्र बनी हुई है. यहां रोजाना हजारों लोग अपनी मन्नतें लेकर आते हैं और मन्नत पूरी होने पर शुकराना अदा करते हैं. यही वजह है, कि ख्वाजा साहब को गरीब नवाज़ भी कहा जाता है.

दरगाह में चिट्ठी से पैग़ाम भेजा है, काश हमारी भी हाजरी हो इसी मान्यता को लेकर ख्वाजा गरीब नवाज़ की दरगाह के आसपास दीवारों पर चिट्ठी बांधने की अनोखी रस्म है. मन्नत पूरी होने के बाद उस चिट्ठी और धागे को खोलने भी जायरीन यहां आते हैं.

ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में धागा बांधती महिला

दीन दुखियों के लिए उम्मीद का जन्नती दरवाजा

दरगाह के गद्दीनशीन सैयद नफीज मियां चिश्ती ने बताया कि ख्वाजा साहब की दरगाह में जन्नती दरवाजा बना हुआ है. ऐसी मान्यता है कि इसी दरवाजे से निकलकर ख्वाजा साहब इबादत करने जाते थे. यह जन्नती दरवाजा सालाना उर्स और कुछ खास मौकों पर खुलता है. हजारों जायरीन कई बरस से अपनी पीड़ा, मानसिक-आर्थिक परेशानी, पारिवारिक समस्या, विवाह-संतान से जुड़ी मन्नत लेकर दरगाह आते हैं.

पीड़ा दूर हो जाने पर खोल देते हैं मन्नत का धागा 

जायरीन अपनी मन्नतों को ख्वाजा साहब के नाम खत लिखकर जन्नती दरवाजे पर बांधते हैं. यह माना जाता है कि खत में लिखी मन्नत पूरी होती है. जिन लोगों की संतान, पारिवारिक समस्या अथवा कोई पीड़ा दूर होती है, वे दरगाह में आकर मन्नत का धागा खोलते हैं. इसे शुकराना अदा करना भी कहा जाता है.

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