अलवर की सिलीसेढ़ झील को दुनियाभर में मिली नई पहचान, राजस्थान की 5वीं रामसर साइट घोषित

अलवर की सिलीसेढ़ झील को अब दुनियाभर में नई पहचान मिलेगी. सर्दियों के मौसम में यहां विदेशी पक्षियों का जमावड़ा रहता है. झील में साल भर वोटिंग होती है.

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अलवर की सिलीसेढ़ झील रामसर साइट घोषित

राजस्थान के फलौदी और उदयपुर के बाद सिलीसेढ़ झील को जगह मिली है. अलवर के सिलीसेढ़ झील को राजस्थान के पांचवीं और देश में 96 रामसर साइट घोषित किया गया है. इसी के साथ भारत में 95 रामसर स्थलों के साथ अब एशिया में सबसे ज्यादा रामसर साइट हो चुकी है. रामसर साइट घोषित होने के बाद सिलीसेढ़ झील को विश्व में एक नई पहचान मिलेगी या टूरिस्टो का दबाव बढ़ेगा. साथ पर्यटकों के लिए बेहतर सुविधाएं मिलेंगी.

अरावली की वादियों के बीच में है सिलीसेढ़ झील

देश की राजधानी दिल्ली से महज 150 किलोमीटर दूर अलवर शहर के नजदीक सिलीसेढ़ झील अरावली की वादियों के बीच में है. इसकी खूबसूरती अन्य जगह से अलग-अलग खास है. केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने जिंबॉब्वे में जुलाई 2025 में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए वेटलैंड कन्वेंशन की महासचिव डॉक्टर मुसोडा मुम्बा से मुलाकात करते हुए उनको सिलीसेढ़ झील के सांस्कृतिक आध्यात्मिक महत्व की जानकारी दी.

सिलीसेढ़ झील में हैं 500 से ज्यादा मगरमच्छ

साथ ही सिलीसेढ़ झील को रामसर साइट घोषित करने का प्रस्ताव रखा. इससे पहले राजस्थान के फलौदी में खींचन और उदयपुर में मेनार को रामसर स्थल घोषित किया गया था. सिलीसेढ़ राजस्थान की पांचवी रामसर साइट घोषित की गई है. इस झील में 500 से ज्यादा मगरमच्छ है.

साथ ही इस झील के आसपास 100 से ज्यादा प्रजातियों के देसी विदेशी पक्षी रहते हैं. सर्दियों के मौसम में यहां विदेशी पक्षियों का जमावड़ा रहता है. झील में साल भर वोटिंग होती है. यह झील अरावली की पहाड़ियों के बीच में है. इसलिए सर्दी के मौसम में झीलों की खूबसूरती कई गुना बढ़ जाती है. झील के किनारे पर सिलीसेढ़ होटल है, जिसे आरटीडीसी द्वारा संचालित किया जाता है. झील को रामसर साइट घोषित होने के बाद पर्यटकों में खुशी का माहौल है.

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