Sariska: सरिस्का टाइगर रिजर्व के पास अवैध खनन की निगरानी करेगा नोडल अधिकारी, सुप्रीम कोर्ट ने दी अनुमति

Rajasthan: आदेश के मुताबिक, नोडल अधिकारी स्थानीय लोगों या किसी भी संबंधित पक्ष द्वारा दर्ज की गई शिकायतों का निपटारा कर सकेगा.

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Permission to appoint nodal officer near Sariska: सुप्रीम कोर्ट ने अलवर जिले में एक नोडल अधिकारी नियुक्त करने की अनुमति दी है. राजस्थान सरकार को नियुक्ति के अधिकार दिए गए हैं. यह नोडल अधिकारी सरिस्का टाइगर रिजर्व के 1 किलोमीटर के दायरे में अवैध खनन से जुड़ी शिकायतों की निगरानी करेगा. जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टिन मसीह की पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया. आदेश के मुताबिक, नोडल अधिकारी स्थानीय लोगों या किसी भी संबंधित पक्ष द्वारा दर्ज की गई शिकायतों का निपटारा कर सकेगा. अगर शिकायतकर्ता की किसी शिकायत का समाधान नहीं होता है तो उसे राजस्थान हाईकोर्ट में अपील करने का अधिकार होगा.  

सुप्रीम कोर्ट में राजस्थान सरकार की दलील

सुनवाई के दौरान, राजस्थान सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता (AAG) शिव मंगल शर्मा ने कहा कि सरिस्का टाइगर रिजर्व के 1 किलोमीटर के भीतर किसी भी प्रकार का खनन नहीं हो रहा है. वहां कड़ी निगरानी और प्रतिबंध लागू हैं. हालांकि, जनता की शिकायतों को दूर करने के लिए सरकार नोडल अधिकारी की नियुक्ति करेगी. यह अधिकारी अवैध खनन से जुड़ी शिकायतों को देखेगा और समस्या सामने आने पर उस पर कार्रवाई की जाएगी. इस पर कोर्ट ने निर्देश दिया कि राज्य सरकार अलवर जिला खनन कार्यालय में एक नोडल अधिकारी नियुक्त करें.

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2 हफ्ते के भीतर निपटाने होंगे मामले

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नोडल अधिकारी को अवैध खनन से जुड़ी शिकायतों की जांच और उन पर निर्णय लेने की पूरी शक्ति होगी. अगर कोई शिकायत मिलती है तो उसे दो हफ्ते के भीतर निपटाना होगा. यदि किसी व्यक्ति को नोडल अधिकारी का निर्णय मंजूर नहीं होता है, तो वह राजस्थान हाई कोर्ट में अपील कर सकता है.

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याचिकाकर्ता ने अवैध खनन के लगाए थे आरोप

यह आदेश याचिकाकर्ता मोशीना द्वारा दायर एक अर्जी पर सुनवाई के दौरान दिया गया. याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि सरिस्का टाइगर रिजर्व के क्रिटिकल टाइगर हैबिटेट (CTH) के 1 किलोमीटर के भीतर अवैध खनन जारी है, जो कि सुप्रीम कोर्ट के 15 मई 2024 और 21 अगस्त 2024 के आदेशों का उल्लंघन है. याचिका में यह भी कहा गया कि कोर्ट के प्रतिबंधों के बावजूद खनन उपकरण, मशीनरी और श्रमिक शिविर खनन स्थलों पर मौजूद हैं. याचिकाकर्ता ने दावा किया कि रात के समय हाई-फोकस लाइट्स और हैलोजन का उपयोग करके खनिजों का दोहन किया जा रहा है.

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राजस्थान सरकार ने आरोपों को किया था खारिज

हालांकि, राजस्थान सरकार ने इन आरोपों को पूरी तरह खारिज कर दिया. सरकार ने हलफनामे में स्पष्ट किया कि खनन गतिविधियों को पूरी तरह से रोक दिया गया है और खनन विभाग, वन विभाग और राजस्व विभाग की संयुक्त टीम नियमित रूप से निरीक्षण कर रही है.

साथ ही राज्य सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि अब तक किसी भी खनन पट्टे को रद्द नहीं किया गया है. क्योंकि यह मामला अभी भी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, लेकिन खनन गतिविधियों को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है.

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