Rajasthan Tourism: 'हर हाथी पर रोज 4000 का खर्च, पैसा कहां से लाएं', आमेर महल में एलिफेंट राइड बंद होने पर बोले महावत

फिलहाल, हाथी गांव में हाथी सवारी का संचालन हो रहा है, लेकिन पर्यटकों की कमी के कारण हाथी मालिक गहरे संकट में हैं. उन्होंने सरकार से जल्द से जल्द आमेर महल में हाथी सवारी फिर से शुरू करने या जब तक दीवार की मरम्मत नहीं होती, तब तक आर्थिक मदद देने की गुहार लगाई है.

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जयपुर के 'हाथी गांव' में गहराया संकट, हर हाथी पर रोज 4000 रुपये का खर्च, सरकार से मांगी मदद

Rajasthan News: राजस्थान की राजधानी जयपुर का विश्व-प्रसिद्ध आमेर महल (Amer Fort) एक बड़ी समस्या का सामना कर रहा है. बीते कुछ दिनों से आमेर महल में हाथी सवारी बंद होने से न सिर्फ पर्यटक निराश होकर लौट रहे हैं, बल्कि इन हाथियों को पालने वाले महावत और हाथी मालिकों के सामने भी रोजी-रोटी का गंभीर संकट पैदा हो गया है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, आमेर में हुई भारी बारिश से रामबाग की 200 फीट लंबी दीवार ढह गई थी, जिसके बाद पर्यटकों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए आमेर महल में हाथी सवारी पर रोक लगा दी गई थी.

हाथी गांव में भी नहीं आ रहे पर्यटक

आमेर महल में हाथी सवारी बंद होने के बाद वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर हाथी गांव से सवारी का संचालन शुरू किया गया. हालांकि, हाथी गांव की दूरी और खराब सड़कों के कारण पर्यटक यहां तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. 

'निराश होकर वापस लौट रहे पर्यटक'

वरिष्ठ टूरिस्ट गाइड महेश कुमार शर्मा के मुताबिक, 'आमेर महल की हाथी सवारी पर्यटकों के लिए एक बड़ा आकर्षण है. रोजाना हजारों की संख्या में सैलानी यहां आते हैं और घंटों लाइन में खड़े रहकर सवारी का लुत्फ उठाते हैं, लेकिन अब वे निराश होकर वापस लौट रहे हैं.'

पर्यटकों का कहना है कि आमेर महल की सुंदरता और संस्कृति उन्हें बहुत आकर्षित करती है, लेकिन हाथी सवारी बंद होने से उनका अनुभव अधूरा रह गया है.

'हाथियों के खाने पर 4000 रुपये का खर्च'

हाथी गांव विकास समिति के अध्यक्ष बल्लू खान ने बताया कि हाथी मालिकों के लिए यह एक विकट स्थिति है. उन्होंने हाथी कल्याण कोष के अध्यक्ष को एक पत्र लिखकर अपनी समस्या बताई है. पत्र में कहा गया है कि एक हाथी पर प्रतिदिन 4,000 रुपये से ज्यादा का खर्च आता है. इसमें उनके भोजन, दवाइयों और रखरखाव का खर्च शामिल है. एक हाथी की दैनिक खुराक करीब 260 किलो होती है, जिसमें 200 किलो गन्ना, 20 किलो ज्वार, 15 किलो हरा चारा, 10 किलो केले और 5 किलो गेहूं की रोटी शामिल होती है.

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सरकार से मांगी आर्थिक मदद

हाथी मालिक बताते हैं कि हाथी सवारी ही उनकी आय का एकमात्र साधन है. अब जब यह बंद है, तो उन्हें हाथियों के भोजन-पानी का इंतजाम करना भी मुश्किल हो रहा है. बल्लू खान ने सरकार से अपील की है कि हाथी कल्याण कोष में जमा धनराशि से हाथी मालिकों को आर्थिक सहायता दी जाए. उनका कहना है कि यह धनराशि हाथी मालिकों द्वारा ही जमा कराई जाती है, और अब जब उनके सामने संकट है तो इस कोष का उपयोग उनकी मदद के लिए किया जाना चाहिए.

दीवार की मरम्मत जल्द कराने की अपील

फिलहाल, हाथी गांव में हाथी सवारी का संचालन हो रहा है, लेकिन पर्यटकों की कमी के कारण हाथी मालिक गहरे संकट में हैं. उन्होंने सरकार से जल्द से जल्द आमेर महल में हाथी सवारी फिर से शुरू करने या जब तक दीवार की मरम्मत नहीं होती, तब तक आर्थिक मदद देने की गुहार लगाई है.

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(Reporter & Written By - Rohan Sharma)

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