Kirodi Lal Meena Letter: राजस्थान के कैबिनेट मंत्री किरोड़ी लाल मीणा इन दिनों अपनी चिट्ठियों को लेकर सुर्खियों में हैं. लोकसभा चुनाव 2024 के बीच हाल ही में किरोड़ी लाल मीणा ने राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को एक पत्र लिखा था. जिसमें जयपुर के गांधीनगर स्थित ओल्ड एमआरसी कैंपस और गाँधीनगर में स्थित राजकीय कॉलोनी के पुनर्विकास योजना के नाम पर पीपीपी मॉडल पर मल्टी स्टोरी बिल्डिंग बनाने के प्रोजेक्ट में 1146 करोड़ रुपए की हेरा-फेरी होने की आशंका जताई थी. अब मीणा ने फिर से एक चिट्ठी सीएम भजनलाल को लिखी है जिसमें अरबों के घोटाले का जिक्र किया है. इस चिट्ठी के सामने आने के बाद माना जा रहा है कि राजस्थान की सियासत में भूचाल मच सकता है.
किरोड़ी लाल मीणा ने अपने नए पत्र में राजस्थान के राज्य भण्डार निगम (RSWC) पर अरबों रुपये के घोटाले का आरोप लगाया है. इसके साथ उन्होंने सीएम से इसकी जांच और टेंडर को निरस्त करने की मांग की है. उन्होंने CAG द्वारा संपादित थिमेटिक ऑडिट रिपोर्ट के आधार पर RSWC के अधिकारियों के विरूध आवश्यक कार्रवाई करने की भी मांग की है.
किरोड़ी लाल मीणा ने अपनी चिट्ठी में लिखा,
गहलोत सरकार ने दिया था दो कंपनियों को टेंडर
मीणा ने आगे कांग्रेस के कार्यकाल का जिक्र करते हुए कहा, साल 2020 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में निगम के गोदामों के प्रबन्धन के लिए जारी टेंडर के माध्यम से कल्पतरु समूह की कंपनी शुभम लॉजिस्टिक लिमिटेड और ऑरिगो कंपनी के साथ MOU निष्पादित किया गया था. यह टेंडर विवादों में रहा था क्योंकि टेंडर के नियम और शर्तें इस प्रकार बनाई गई थी कि इन दो कंपनियों के आलावा किसी कंपनी को इसका टेंडर न मिल सके. इस पर आपत्ति भी जताई गई थी.
उन्होंने कहा,
वहीं उन्होंने आशंका जताई कि वर्तमान में अभी भी इस संबंध में हाईकोर्ट का अंतिम फैसला आना बाकी है. इस मामले में पैरवी राज्य सरकार इन कंपनियों के पक्ष में कर रही है, और निगम के कुछ अधिकारी जानबूझ कर सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार के पक्ष में कमजोर पैरवी करवा रहे हैं.
120 करोड़ की वसूली अब तक नहीं
किरोड़ी लाल मीणा ने कहा है कि साल 2020 में हुए नए कॉन्ट्रेक्ट के मुताबिक गोदाम की वार्षिक उपयोगिता 70 प्रतिशत से कम रहने की दशा में Deficiet की भरपाई पीपीपी पार्टनर शुभम लॉजिस्टिक लिमिटेड और ऑरिगो से की जानी थी. इस Deficiet के लिए 2022-23 की वसूली रकम करीब 64 करोड़ रुपये हैं. जबकि साल 2023-24 की रिकवरी जोड़ने पर यह रकम करीब 120 करोड़ रुपये बनती है. जिसकी वसूली निगम के अधिकारियों द्वारा आज तक नहीं की गई है. इसके साथ ही कानूनी कार्रवाई की आड़ में निगम के अधिकारियों द्वारा इन कंपनियों को वसूली से बचाया जा रहा है.