Rajasthan News: राजस्थान की बारां जिले की अंता विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव की जंग अब तेजी से आगे बढ़ रही है. सोमवार को कांग्रेस के दिग्गज नेता प्रमोद जैन भाया के नामांकन के बाद, मंगलवार को कांग्रेस से बागी हुए युवा नेता नरेश मीणा ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अपना नामांकन पत्र दाखिल कर दिया है. नरेश मीणा की इस एंट्री से जहां इस उपचुनाव में त्रिकोणीय मुकाबले की स्थिति बन गई है, वहीं कांग्रेस के खेमे में वोटों के बंटवारे को लेकर चिंता गहरा गई है.
परिवार के साथ SDM कार्यालय पहुंचे नरेश मीणा
निर्वाचन कार्यक्रम के दूसरे दिन, नरेश मीणा अपने समर्थकों के साथ अंता के एसडीएम कार्यालय पहुंचे और रिटर्निंग अधिकारी के समक्ष अपना नामांकन पत्र दाखिल किया. नामांकन के दौरान नरेश मीणा के साथ उनके पिताजी, माताजी, पत्नी और दोनों बेटे भी मौजूद रहे. परिवार की उपस्थिति ने मीणा की उम्मीदवारी को भावनात्मक बल दिया है. नामांकन भरने से पहले, मीणा ने अपने समर्थकों के साथ शक्ति प्रदर्शन भी किया, जिसमें ग्रामीण और युवा वर्ग की अच्छी खासी भीड़ देखने को मिली.
'आम जन, गरीबों और किसानों के लिए लड़ रहा हूं चुनाव'
नामांकन दाखिल करने के बाद निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा ने मीडिया से बात की और अपने चुनाव लड़ने के मकसद को स्पष्ट किया. नरेश मीणा ने कहा, 'मैं यह चुनाव किसी निजी स्वार्थ के लिए नहीं लड़ रहा हूं. मैं यह चुनाव अंता क्षेत्र के आम जन, गरीबों, और किसानों के लिए लड़ रहा हूं. मैं यहां के उन लोगों की आवाज बनूंगा, जिनकी अनदेखी वर्षों से की गई है.' मीणा के इस बयान से यह साफ है कि वह सीधे तौर पर स्थापित राजनीतिक दलों और उनके उम्मीदवारों को चुनौती दे रहे हैं.
त्रिकोणीय मुकाबले में फंसी अंता विधानसभा सीट
अंता विधानसभा उपचुनाव में अब मुकाबला बेहद दिलचस्प हो गया है. इस सीट पर मुख्य रूप से तीन ध्रुव बन गए हैं. पहला ध्रुव कांग्रेस के प्रमोद जैन भाया हैं, जो हाड़ौती क्षेत्र के एक कद्दावर और अनुभवी नेता हैं. दूसरा ध्रुव भारतीय जनता पार्टी हैं, जिसने अभी तक अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है. हालांकि पूर्व मंत्री प्रभुलाल सैनी का नाम चर्चा में है. तीसरा ध्रुव निर्दलीय उम्मीदवार नरेश मीणा हैं, जो कांग्रेस के बागी नेता हैं और क्षेत्र के युवा तथा मीणा-धाकड़ वोट बैंक में अच्छी पकड़ रखते हैं.
नरेश मीणा की एंट्री से बीजेपी को होगा फायदा!
नरेश मीणा की निर्दलीय उम्मीदवारी सीधे तौर पर कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगाएगी, जिसका सीधा फायदा बीजेपी को मिल सकता है. मीणा ने पहले भी कांग्रेस नेतृत्व से टिकट मांगा था, लेकिन टिकट न मिलने के बाद उन्होंने पार्टी से बगावत कर निर्दलीय लड़ने का फैसला किया. उनकी इस बगावत से अन्ता सीट का समीकरण अब पूरी तरह से बदल गया है.
बीजेपी पर टिकट का दबाव बढ़ाएक तरफ जहां कांग्रेस के दो बड़े धड़े आमने-सामने आ गए हैं, वहीं बीजेपी पर जल्द से जल्द उम्मीदवार घोषित करने का दबाव बढ़ गया है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बीजेपी मीणा समुदाय से आने वाले किसी मजबूत चेहरे या स्थानीय नेता पर दांव लगा सकती है, ताकि त्रिकोणीय मुकाबले का फायदा उठाते हुए आसानी से जीत दर्ज की जा सके.
नामांकन की अंतिम तिथि 21 अक्टूबर है. ऐसे में बीजेपी के पास अपने उम्मीदवार के नाम की घोषणा के लिए बहुत कम समय बचा है. चुनाव आयोग द्वारा घोषित कार्यक्रम के अनुसार, अंता उपचुनाव के लिए 11 नवंबर को मतदान होगा और 14 नवंबर को नतीजे घोषित किए जाएंगे. इस त्रिकोणीय मुकाबले में अंता की जनता किसे चुनती है, यह देखना दिलचस्प होगा.
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