Anta By Election 2025: क्या है प्रमोद जैन भाया का सॉफ्ट पावर, जिसके आगे नहीं टिक पाए नरेश मीणा और मोरपाल सुमन

Anta By Election Result 2025: अंता उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी प्रमोद जैन भाया की भारी जीत की चर्चा चारो ओर हो रही है. उनके लिए बनाई गई जीत की रणनीति को लेकर राजनीतिक गलियारों में खूब चर्चा हो रही है कि आखिर यह कैसी सॉफ्ट पावर है, जिसके सामने नरेश मीणा और मोरपाल सुमन भी नहीं टिक पाए.

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Pramod jain bhaya Won Anta By Election 2025

Pramod Jain Bhaya won anta By Election: अंता विधानसभा उपचुनाव (Anta By Election 2025)  के नतीजे बेहद चौंकाने वाले रहे हैं. 2023 विधानसभा चुनाव में बीजेपी को मिली यह सीट, इस बार कांग्रेस (Congress) ने शानदार मार्जिन से जीतकर बड़ा उलटफेर कर दिया. पिछले चुनाव में बीजेपी के कंवरलाल मीणा ने जहां 45,000 वोटों के विशाल अंतर से जीत दर्ज की थी, वहीं इस उपचुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार प्रमोद जैन भाया ( Pramod Jain Bhaya) ने निर्णायक जीत हासिल कर पार्टी की उम्मीदों पर खरा उतरे. उनकी यह जीत साबित करती है कि अंता (Anta) में अभी भी उनकी 'सॉफ्ट पावर' ही सबसे निर्णायक है. मतगणना में शुरुआत से ही भाया ने बीजेपी के मोरपाल सुमन (Morpal Suman) और निर्दलीय उतरे नरेश मीणा (naresh Meena) पर निर्णायक बढ़त बनाए रखी, जो उनकी जीत में कारगर साबित हुई. राजनीतिक गलियारों में सवाल है कि यह कैसी शक्ति है जिसने उन्हें निर्णायक बढ़त दिलाई.राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इसके पीछे उनकी अचूक चुनावी रणनीति और संगठनात्मक पकड़ मुख्य कारण हैं.

सादगी भरा जीवन और जनता से बना रहा संवाद 

प्रमोद जैन भैया हमेशा से ही सादा जीवन जीने में विश्वास रखते हैं. पूर्व सीएम अशोक गहलोत सरकार के तीसरे कार्यकाल 2018 से 2023 तक मंत्री रहने के बाद भी, उन्होंने हमेशा जमीन से जुड़े रहना और लोगों से जुड़ना पसंद किया. उन्होंने 2023 विधानसभा में भले ही हार देखी, उसके बाद भी उन्होंने अंता के लिए काम किया. सड़कों का निर्माण करावाया. साथ ही जनता के बीच रह कर उनके परेशानियों को समझ कर उनका हल किया.गौ शालाएं  बनवाई. इसीलिए आज भी चुनाव परिणाम घोषित होने से पहले, अपने कार्य को पूरा करने के लिए, उन्होंने गौशाला जाकर गायों को चारा खिलाया और उनका आशीर्वाद लिया.

भाया का सतर्क 'माइक्रो-मैनेजमेंट'

पिछले चुनावों की गलतियों से सबक लेते हुए, प्रमोद जैन भाया ने इस बार बेहद सतर्क रणनीति अपनाई. उन्होंने बड़े रोड शो के बजाय व्यक्तिगत संपर्क को प्राथमिकता दी और घर-घर पहुंचकर सीधे मतदाताओं से संवाद किया. पूरे चुनाव को उन्होंने एक सुनियोजित लड़ाई की तरह लड़ा, जिसमें हर बूथ और हर क्षेत्र पर बारीक नजर रखी गई. इसमें उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने बेहद अहम भूमिका निभाई थी. जिसके कारण  भाया का यह माइक्रो मैनेजमेंट बीजेपी की चुनावी रणनीति पर भारी पड़ा, जिसने कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाने में निर्णायक भूमिका निभाई.

दिग्गजों की एकजुटता ने झोंकी ताकत

कांग्रेस ने इस उपचुनाव को प्रतिष्ठा का मुद्दा बनाकर अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली सहित कई वरिष्ठ नेताओं ने संयुक्त रूप से प्रचार किया. उनके पक्ष में रैली और जनसंवाद की. जो उनकी जीत में एक मील का पत्थर साबित हुई है. 

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संयुक्त प्रचार अभियान

 दिग्गज नेताओं का लगातार रोड शो और संयुक्त सभाएं करना मतदाताओं तक एक मजबूत संदेश पहुंचाने में कामयाब रहा. इस एकजुटता ने न केवल कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा का संचार किया, बल्कि मतदाताओं को भी यह भरोसा दिलाया कि पार्टी पूरी ताकत से उनके साथ खड़ी है.

अशोक चांदना ने सजाया जीत का रास्ता

कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में प्रमोद जैन भाया का नाम तय होने के बाद, बारां-अंता चुनाव प्रभारी अशोक चांदना ने उनके पक्ष में जीत का माहौल बनाना शुरू कर दिया है. चुनाव प्रभारी बनने के बाद से चांदना लगातार विधानसभा क्षेत्र का दौरा कर रहे हैं. उन्होंने स्थानीय पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं और आम जनता से सीधा संवाद किया. बूथ स्तर की तैयारियों की समीक्षा करते हुए उन्होंने संगठन को एकजुट करने पर जोर दिया. उन्होंने अंता की जनता के बीच सभाओं, चौपालों और जनसंपर्क कार्यक्रमों के जरिए भाया के समर्थन में माहौल बनाया.

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