Rajasthan News: राजस्थान के बारां जिले की अंता विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव का रिजल्ट (Anta By Election Result 2025) आए लगभग दो हफ्ते बीत चुके हैं, लेकिन क्षेत्र की राजनीतिक सरगर्मी थमने का नाम नहीं ले रही हैं. 11 नवंबर को हुए इस 'मिनी-संग्राम' का परिणाम 14 नवंबर को घोषित हुआ, जिसमें कांग्रेस के दिग्गज नेता प्रमोद जैन भाया (Pramod Jain Bhaya) ने शानदार जीत दर्ज की. वहीं, भाजपा के जुझारू प्रत्याशी मोरपाल सुमन (Morpal Suman) को हार का सामना करना पड़ा. लेकिन इस चुनाव को जिस फैक्टर ने 'त्रिकोणीय' बना दिया था, वह थे निर्दलीय उम्मीदवार नरेश मीणा (Naresh Meena), जो तीसरे स्थान पर रहे. अब, जहां विजेता और उपविजेता अपनी हार-जीत के बाद भी जनता के बीच 'धन्यवाद और आभार यात्रा' निकाल रहे हैं, वहीं तीसरे नंबर के निर्दलीय उम्मीदवार का अचानक क्षेत्र से 'गायब' हो जाना मतदाताओं के बीच चर्चा का विषय बन गया है और क्षेत्र की राजनीति में एक बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है.
तीसरे मोर्चे का 'सन्नाटा', मीणा कहां हैं?
अंता विधानसभा उपचुनाव में कुल 15 प्रत्याशियों ने भाग्य आजमाया था. राष्ट्रीय पार्टियों के दो प्रमुख चेहरों—कांग्रेस के प्रमोद जैन भाया और भाजपा के मोरपाल सुमन—के बीच सीधी टक्कर थी, लेकिन मीणा समाज के युवा नेता नरेश मीणा ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में ताल ठोककर मुकाबले को रोमांचक बना दिया था. चुनाव विश्लेषकों का मानना है कि नरेश मीणा ने बड़ी संख्या में वोट काटकर, खासकर युवा और मीणा समुदाय के, इस चुनाव को त्रिकोणीय मोड़ पर ला दिया था. परिणाम में भी वह तीसरे स्थान पर रहे. हालांकि, 14 नवंबर को मतगणना के दिन से ही नरेश मीणा अंता-मांगरोल क्षेत्र से 'नदारद' हो गए हैं. स्थानीय मतदाताओं का एक बड़ा वर्ग इस बात पर अपनी निराशा व्यक्त कर रहा है. मतदाताओं का आरोप है कि चुनाव के दौरान बड़े-बड़े वादे करने वाले प्रत्याशी, परिणाम आने के बाद ही क्षेत्र से लापता हो गए हैं.
विजेता और उपविजेता, दोनों मैदान में
दूसरी ओर, चुनाव का परिणाम चाहे जो भी रहा हो, मुख्य राजनीतिक दल अपनी जिम्मेदारी निभाते दिखाई दे रहे हैं. कांग्रेस के नव-निर्वाचित विधायक प्रमोद जैन भाया अब नए तेवर और नई ऊर्जा के साथ क्षेत्र के दौरे पर हैं. विधायक बनने के बाद यह उनका पहला विस्तृत दौरा है, जिसे वह 'आभार यात्रा' के रूप में संबोधित कर रहे हैं. विभिन्न सामाजिक संगठन, कांग्रेस कार्यकर्ता और समर्थक जगह-जगह उनका भव्य स्वागत कर रहे हैं. भाया को माल्यार्पण किया जा रहा है, शॉल और श्रीफल भेंट किए जा रहे हैं. इस दौरान मतदाताओं का आभार जताते हुए प्रमोद जैन भाया ने स्पष्ट संदेश दिया है कि क्षेत्र की समस्याओं और विकास के मुद्दों को वह प्राथमिकता के साथ विधानसभा में उठाएंगे. उनकी यह यात्रा क्षेत्र की जनता के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने की एक पहल है, जहां वह अब विधायक के रूप में लोगों के बीच पहुंच रहे हैं.
'मैं आपका हारा हुआ मोरपाल सुमन हूं'
वहीं, हार का सामना करने वाले भाजपा प्रत्याशी मोरपाल सुमन का रवैया भी राजनीतिक परिपक्वता दिखाता है. बारां प्रधान मोरपाल सुमन भी हार के बाद पीछे नहीं हटे हैं. वह भी लगातार क्षेत्र के दर्जनों गांवों में जाकर मतदाताओं, कार्यकर्ताओं और पार्टी पदाधिकारियों को धन्यवाद और आभार व्यक्त कर रहे हैं. सुमन का अंदाज़ भावुक और विनम्र है. वह मतदाताओं से यह कहते हुए दिखाई दे रहे हैं कि "मैं भाजपा से हारा हुआ आपका अपना मोरपाल सुमन हूं." यह राजनीतिक संदेश महत्वपूर्ण है. हार के बावजूद मैदान में डटे रहना यह बताता है कि उनका राजनीतिक सफर केवल विधायक बनने तक सीमित नहीं है, बल्कि वह क्षेत्र की जनता के बीच अपनी पैठ और विश्वास बनाए रखना चाहते हैं. उनकी यह 'धन्यवाद यात्रा' कार्यकर्ताओं का मनोबल बनाए रखने और अगले चुनावों के लिए जमीन तैयार करने के तौर पर भी देखी जा रही है.
लोकतंत्र की कसौटी पर प्रत्याशी
अन्य 12 प्रत्याशी जो 1000 वोटों का आंकड़ा भी नहीं छू पाए थे, उनका चुनाव के बाद शांत हो जाना तो समझा जा सकता है, लेकिन त्रिकोणीय मुकाबले में प्रमुख खिलाड़ी रहे मीणा का यह 'साइलेंस' एक चिंताजनक संकेत है. राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि चुनाव के बाद भी जनता के बीच बने रहना, चाहे परिणाम कुछ भी हो, प्रत्याशी की दीर्घकालिक राजनीतिक मंशा को दर्शाता है. मतदाताओं ने नरेश मीणा को बड़ी संख्या में वोट देकर एक उम्मीद जताई थी, और अब उन्हें चाहिए कि वह क्षेत्र में सक्रिय रहकर उस उम्मीद को जिंदा रखें. अंता की जनता को अब उस 'तीसरे उम्मीदवार' का इंतजार है, जो चुनाव के मैदान में तो डटा रहा, लेकिन परिणाम के बाद अचानक नदारद हो गया है.
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