1 जुलाई से बदलने वाले कानून पर बोले अर्जुन राम मेघवाल, 'सालों से चल रहा बदलाव का मुद्दा'

देश में पुरानी दण्ड आधारित न्याय प्रणाली की आपराधिक कानून की जगह तीन नए आपराधिक कानून 1 जुलाई से लागू होने जा रहे हैं.

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New Criminal Law: भारत में अब 1 जुलाई से तीन नए आपराधिक कानून लागू होने जा रहे हैं. पुरानी दण्ड आधारित न्याय प्रणाली की आपराधिक कानून की जगह तीन नए आपराधिक कानून लागू होने जा रहे हैं. वहीं 1 जुलाई 2024 से लागू होने से पहले इसकी चर्चा काफी ज्यादा हो रही है. बता दें नए आपराधिक कानून लागू होने से पहले इसकी ट्रेनिंग सभी अधिकारियों को दी गई है. जबकि इसके लिए पुलिस कर्मचारियों को भी दी गई है. इसके साथ आम आदमी को भी प्रशासन के जरिए इसके बारे में लोगों को जागरुक किया जा रहा है.

 3 नए कानून - भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 एवं भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 - 1 जुलाई 2024 से लागू हो जायेंगे. वहीं नए कानून पर बीकानेर सांसद अर्जुन राम मेघवाल का बयान सामने आया है. उन्होंने कहा है कि आपराधिक न्याय प्रणाली में बदलाव होना चाहिए ये मुद्दा वर्षों से चल रहा है.

क्या बोले अर्जुन राम मेघवाल

दिल्ली में केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा, "आपराधिक न्याय प्रणाली में बदलाव होना चाहिए ये मुद्दा वर्षों से चल रहा है...सभी ने माना कि इसमें संशोधन होना चाहिए. 50 से ज्यादा औपचारिक बैठक हुई. 100 से ज्यादा अनौपचारिक बैठक हुई. इसके बाद इसे लोकसभा में पेश किया गया. मांग आई कि इसे स्थायी समिति को भेजा जाए. इसके बाद इसे संसदीय स्थायी समिति को भेजा गया. उसमें भी व्यापक परामर्श हुआ...सभी हितधारकों को ट्रेनिंग मिली है…"

मेघवाल ने कहा कि संसदीय स्थायी समिति में सभी पार्टी के लोग होते हैं. इसलिए सभी से व्यापक परामर्श हो चुका है. इसलिए इसमें किसी तरह की कोई बात नहीं है. जब इसे पहली बार पेश किया गया तो सभी लोगों ने इसका समर्थन किया था. जबकि ट्रेनिंग देने से यह सभी के लिए आसान हो गया है.

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बता दें राजस्थान में भी इस नए कानून के लिए गृह विभाग ने निर्देश दिया था कि प्रदेश के वकीलों से समन्वय कर प्रत्येक ग्राम पंचायत, पंचायत समिति, नगर निकाय, नगर पालिका को नए कानूनों से अवगत कराया जाए. सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग को निर्देश दिए कि मीडिया के माध्यम से नए कानूनों का प्रचार-प्रसार किया जाये एवं विभाग की वेबसाइट पर पॉपअप लगाए. स्कूल शिक्षा विभाग एवं उच्च शिक्षा विभाग को निर्देश दिए कि कॉलेज और स्कूलों में छात्रों एवं शिक्षको को जागरूक कर महिला एवं बाल अपराधों से अवगत कराये.

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