Arvind Singh Mewar: अरविंद सिंह मेवाड़ ने उदयपुर को पर्यटन के क्षेत्र में दिलाई अलग पहचान, वेडिंग के लिए पहली पसंद बने शाही होटल

Arvind Singh Mewar Death: अरविंद सिंह मेवाड़ हाउस ऑफ मेवाड़ के प्रमुख व्यावसायिक उपक्रम एचआरएच ग्रुप ऑफ होटल्स, उदयपुर में अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक भी थे.

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फाइल फोटो

Mewar Royal Family's member Arvind Singh Mewar: मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार के सदस्य अरविंद सिंह मेवाड़ के निधन के बाद शोक की लहर छा गई है. उदयपुर को पर्यटन के क्षेत्र में दुनिया के नक्शे पर अलग पहचान दिलाने के लिए भी उन्हें याद किया जाएगा. अरविंद सिंह मेवाड़ (Arvind Singh Mewar) का मानना था, "परिवर्तन कभी भी अतीत को अमान्य नहीं करता है और इसका मतलब यह नहीं है कि पुराने को अस्वीकार कर दिया जाए. अतीत से बहुत कुछ बचाया जा सकता है और बचाया जाना चाहिए. विशेष रूप से हमें उन प्राचीन और निस्वार्थ मूल्यों को संजोकर रखना चाहिए जो समय की कसौटी पर खरे उतरे हैं." 

मेवाड़ के पूर्व महाराणा भगवत सिंह मेवाड़ की ओर से एग्जीक्यूटर नियुक्त किए जाने के बाद उन्होंने इस बात को बखूबी सार्थक किया. पूर्व राजपरिवार के सदस्य ने उदयपुर (Udaipur) के सिटी पैलेस और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित किया. महाराणा मेवाड़ चैरिटेबल फाउंडेशन के जरिए उन्होंने सामाजिक कार्यों की पहल को भी आगे बढ़ाया.  

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कई अवॉर्ड्स से किए जा चुके हैं सम्मानित

देश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए उनके योगदान, भागीदारी और प्रतिबद्धता के चलते उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित भी किया गया. होटलियर इंडिया के प्रतिष्ठित 'लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड -2021' और कोंडे नास्ट ट्रैवलर द्वारा 5वें वार्षिक रीडर्स ट्रैवल अवार्ड्स-2015 के लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड 2015 से सम्मानित किया गया था. 

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तस्वीरः जगमंदिर पैलेस, उदयपुर

हाउस ऑफ मेवाड़ के प्रमुख व्यावसायिक उपक्रम एचआरएच ग्रुप ऑफ होटल्स, उदयपुर में अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक भी थे. हेरिटेज पैलेस-होटल और रिसॉर्ट्स की श्रृंखला की जिम्मेदारी निभाते हुए उन्होंने इसे काफी आगे बढ़ाया. इसके बाद ही होटल-रिसॉर्ट की डिमांड शाही शादियों और कॉर्पोरेट आयोजनों के लिए बढ़ गई थी. उन्होंने जगमंदिर और सिटी पैलेस की बड़ी पाल का जीर्णोद्धार भी करवाया.  

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संपत्ति और ट्रस्ट में पूर्व महाराणा ने दिया था अधिकार

मेवाड़ राजपरिवार में 1930 से 1955 तक महाराणा रहे भूपाल सिंह का कोई बेटा नहीं था. भूपाल सिंह और उनकी पत्नी वीरद कुंवर ने परिवार के ही एक सदस्य प्रताप सिंह के बेटे भगवत सिंह को गोद लिया. भगवत सिंह के परिवार में दो बेटे महेंद्र सिंह और अरविंद सिंह के अलावा उनकी एक बेटी योगेश्वरी भी हैं.

साल 1984 में हुई जब विश्वराज सिंह मेवाड़ के पिता महेंद्र सिंह मेवाड़ कोर्ट चले गए थे. उन्होंने अपने पिता महाराणा भगवत सिंह मेवाड़ के खिलाफ मुकदमा किया था. इससे नाराज होकर भगवत सिंह ने अपनी वसीयत में संपत्तियों का एग्जीक्यूटर छोटे बेटे अरविंद सिंह मेवाड़ को बना दिया. उन्हें संपत्ति और ट्रस्ट में अधिकार दिया गया.

साल 1984 में हुई जब विश्वराज सिंह मेवाड़ के पिता महेंद्र सिंह मेवाड़ कोर्ट चले गए थे. उन्होंने अपने पिता महाराणा भगवत सिंह मेवाड़ के खिलाफ मुकदमा किया था. इससे नाराज होकर भगवत सिंह ने अपनी वसीयत में संपत्तियों का एग्जीक्यूटर छोटे बेटे अरविंद सिंह मेवाड़ को बना दिया.

हाईकोर्ट से जिला अदालत के फैसले पर लगाई थी रोक

हालांकि इसके बाद सपंत्ति विवाद की कानूनी लड़ाई भी शुरू हुई. जिला कोर्ट ने 2020 में फैसला दिया कि  जो संपत्तियां भगवत सिंह ने अपने जीवनकाल में बेच दी थीं, उन्हें दावे में शामिल नहीं किया जाएगा. इस फैसले के बाद सिर्फ तीन संपत्ति शंभू निवास पैलेस, बड़ी पाल और घास घर ही बची, जिसे बराबर हिस्सों में बांटा जाना था.

कोर्ट ने संपत्ति का एक चौथाई भगवत सिंह, एक चौथाई महेंद्र सिंह मेवाड़, एक चौथाई बहन योगेश्वरी को और एक चौथाई अरविंद सिंह मेवाड़ को दिया. लेकिन साल 2022 में राजस्थान हाईकोर्ट ने जिला अदालत के फैसले पर रोक लगाते हुए इसी विवाद में छोटे बेटे अरविंद सिंह मेवाड़ को बड़ी राहत दी थी. कोर्ट ने आदेश दिया था कि अंतिम निर्णय होने तक इन तीनों ही प्रॉपर्टी पर अरविंद सिंह मेवाड़ का ही अधिकार रहेगा.

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