पेट की भूख शांत करने के लिए इंसान को क्या कुछ नहीं करना पड़ता, और इस भूख को शांत करने के लिए दिनभर इंसान इधर से उधर धक्के खाता है. तब जाकर उसकी कहीं उनकी भूख शांत हो पाती है. लेकिन उनका क्या किया जाए जो ना बोल सकते हैं और ना किसी से मांग कर खा सकते हैं. बस उन्हीं बेजुबान जानवरों के लिए बांदीकुई के अशोक और हनुमान मसीहा बने हैं. वो अपने रोजमर्रा के काम खत्म करने के बाद इन बेजुबानों का पेट भरने का काम भी करते हैं.अशोक अग्रवाल बांदीकुई के निवासी हैं. जो पिछले 8 सालों से लगातार बिना कोई लालच इन बेजुबानों को रोटी खिलाने का काम कर रहे हैं.
उन्होंने ने NDTV से खास बातचीत में बताया कि उन्हें यह प्रेरणा उनके पिता मिली मिली है. अशोक अग्रवाल का कहना कि है कि इस उनके पिता कहा करते थे कि इंसान तो किसी भी तरह अपना पेट भर लेता है,बेज़ुबान जानवर न मांग कर खा सकते हैं और न किसी से छीनकर.उनकी इस मुहिम में उनके साथी हैं हनुमान सिंह फौजी. हनुमान आर्मी से रिटायर हो चुके हैं और 7 वर्षों से इस मुहिम जुड़े हुए हैं.जो मुकरपुरा के समीप राधिका नामक होटल का संचालन भी करते हैं.
गाय,सांड,कुत्ते जैसे जानवर दौड़कर खाने की आस में उनकी मोपेड के पास चले आते है
रात 11 बजे उनका यह सफर उस वक़्त शुरू होता है जब इंसान अपनी जिंदगी में सुकून और आराम चाहता है. लेकिन अशोक अग्रवाल हर रोज़ अपनी दुकान को रात 9 बजे बंद करने बाद रात करीब 8 से 10 किलोमीटर सफर तय करते हुए अलवर सिकंदरा मेगा हाईवे स्थित राधिका होटल पर पहुंचते हैं और उनकी इस मुहिम में उनके साथी आर्मी से रिटायर्ड फौजी हनुमान उन्हें करीब 15 से 20 किलो आटे की रोटियां बनवा कर कट्टों और थैले में पैक करा कर तैयार रखते हैं.
NDTV के संवाददाता ने उनके साथ किया पवित्र सफर
NDTV के संवाददाता ने रात में उनके साथ सड़कों पर बेजुबान जानवरों भूखे नहीं सोने की पुष्टि की करते हुए इस मुहिम में रात उनके साथ मुकरपुरा से बडियाल रोड तक सफर तय किया। जिसमें बेजुबान जानवरों के मसीहा अशोक अग्रवाल कई किलोमीटर तक सफर में दर्जनों गायो,कुत्तों और गोवंश को रोटी खिलाने काम करते नजर आए मुकरपुरा से गुढाकटला रोड,रेलवे कालोनी,बसवा रोड सब्जी मंडी,आगरा फाटक होते हुए बडियाल रोड तक बेजुबान जानवरों को रात में खाना खिलाने का काम कर रहे हैं.
शादी विवाह का बचा खाना लेकर बेज़ुबानों को खिलाते हैं
अग्रवाल बताते हैं कि शादी विवाह हो या और किसी तरह के आयोजन मैं बचा हुआ खाना वो मांगकर भी लाते हूं , और गाय और कुत्तों का पेट भरते हैं.