ACB से झूठी शिकायत कर फिल्मी स्टाइल में ASI को फंसाया, 20 साल बाद परिवादी को मिली सजा

ACB से शिकायत के मामले में एक ASI को काफी परेशानी उठानी पड़ी. क्योंकि एएसआई के खिलाफ झूठी शिकायत की गई.

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ACB Action: वैसे तो राजस्थान में इन दिनों भ्रष्टाचार के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) लगातार नकेल कस रही है. वहीं आम जन द्वारा एसीबी को शिकायत देने के बाद त्वरित कार्रवाई की जाती है. एसीबी ने काफी संख्या में अधिकारियों और पुलिस कर्मचारियों को भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार किया है. हालांकि ACB से शिकायत के मामले में एक ASI को काफी परेशानी उठानी पड़ी. क्योंकि एएसआई के खिलाफ झूठी शिकायत की गई. वहीं गलत शिकायत देने के मामले में परिवादी को ही सजा दी गई है.

20 साल पहले हुआ था यह मामला

दरअसल करीब 20 साल पहले साल 2002 में कोटा के उद्योग नगर में केदार सिंह नाम के शख्स ने तत्कालीन ASI शैतान सिंह के खिलाफ ACB को शिकायत की थी. वहीं ASI को 1 हजार रुपये रिश्वत देते हुए ट्रैप भी करवाया था. वहीं कोर्ट की सुनवाई के दौरान केदार सिंह ने अपना बयान बदल दिया. जिसके बाद ASI को बरी कर दिया गया. 

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भूलवश ACB को किया शिकायत

कोर्ट में परिवादी ने बयान दिया था कि उस वक्त उसने एक स्कूटर खरीदा था और पैसा कम होने पर ASI शैतान सिंह से 2 हजार रुपये उधार ली थी. जबकि उधार के पैसे एक महीने में वापस की बात हुई थी, लेकिन उधार वापस नहीं कर पाया. उसी वक्त कॉलोनी में चोरी की घटना हुई थी तो ASI शैतान सिंह ने मुझे उठा ले गया. वहीं उधार न चुकाने पर शैतान सिंह ने झूठे प्रकरण में फंसाने की धमकी दी थी. इसकी शिकायत मैं SP से करना चाहता था लेकिन भूलवश ACB विभाग में शिकायत कर दी. जिसमें कहा कि गुंडा एक्ट नहीं लगाने के मामले में 2 हजार की रिश्वत मांगी जा रही है. जब इसका सत्यापन करवाया गया तो परिवादी ने उधार के पैसे के रूप में 1 हजार रुपये दिये, जिसे लेते हुए शैतान सिंह को ACB ने ट्रैप कर लिया.

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जांच के बाद दिसंबर 2003 में कोर्ट में चालान पेश किया. कुल 10 गवाह के बयान करवाए. जनवरी 2006 में कोर्ट ने आरोपी ASI शैतान सिंह को बरी कर दिया.

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वहीं बयान बदलने पर परिवादी केदार सिंह के खिलाफ धारा 344 में कारण बताओ नोटिस जारी किया गया. वहीं परिवादी ने जुलाई 2024 में वकील के जरिए नोटिस का जवाब पेश किया.

कोर्ट ने इस मामले में परिवादी केदार सिंह को 3 महीने का साधारण कारावास की सजा और 500 रुपए के अर्थदंड से दंडित किया है.

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