हिंदी फिल्म जगत के जाने-माने हास्य अभिनेता असरानी का निधन हो गया है. वह 84 वर्ष के थे. पांच दशकों से अधिक समय तक 300 से ज्यादा फिल्मों में काम करने वाले मशहूर अभिनेता का पूरा नाम गोवर्धन असरानी था. उनका निधन सोमवार को, दिवाली के दिन दोपहर तीन बजे हुआ. वह कुछ समय से बीमार थे. मृत्यु से थोड़ी ही देर पहले उनके इंस्टाग्राम से एक पोस्ट किया गया था. लगभग 2 बजे किए गए इस पोस्ट में उन्होंने अपने प्रशंसकों को दिवाली की शुभकामनाएं दी थीं. हालांकि, यह समझा जा रहा है कि यह पोस्ट उनके परिवार के किसी सदस्य या स्टाफ़ ने किया होगा.
असरानी का आखिरी पोस्ट
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मुंबई के अस्पताल में थे भर्ती
असरानी को चार दिन पहले उन्हें मुंबई में जुहू स्थित भारतीय आरोग्य निधि अस्पताल में भर्ती कराया गया था. असरानी के निधन की जानकारी देते हुए उनके मैनेजर बाबूभाई थिबा ने बताया, “वह थोड़े अस्वस्थ थे. सांस लेने में तकलीफ के बाद उन्हें भर्ती कराया गया था. आज अपराह्न तीन बजे उनका निधन हो गया. चिकित्सकों ने हमें बताया कि उनके फेफड़ों में पानी जमा हो गया था.”
असरानी का अंतिम संस्कार मुंबई में सोमवार को कर दिया गया जिसमें उनके परिवार के करीबी सदस्य शामिल रहे. असरानी के परिवार में उनकी पत्नी हैं.
अंग्रेज़ों के ज़माने के जेलर
असरानी ने पांच दशक लंबे अपने करियर में ज्यादातर चरित्र भूमिकाएं निभाईं और अपनी बेजोड़ हास्य टाइमिंग के कारण दर्शकों में काफी लोकप्रिय रहे. उन्होंने फिल्म ‘शोले' में सनकी जेलर की भूमिका निभाकर दर्शकों के दिलों में खास जगह बनाई. उनका संवाद, “हम अंग्रेजों के जमाने के जेलर हैं” आज भी लोगों के बीच काफी लोकप्रिय है. फिल्म ‘शोले' में निभाया गया उनका हास्य किरदार “द ग्रेट डिक्टेटर” के चार्ली चैपलिन पर आधारित था.
असरानी ने अपने पांच दशक लंबे करियर के हर दौर में कुछ सबसे बड़े निर्देशकों के साथ काम किया और लगभग हर बड़े सितारे के साथ उन्होंने अदाकारी के जौहर बिखेरे. उन्होंने राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन से लेकर आमिर खान और अक्षय कुमार जैसे कलाकारों के साथ यादगार भूमकाएं निभाईं.
FTII से अभिनय का प्रशिक्षण
एफटीआईआई से प्रशिक्षण प्राप्त होने के बावजूद, असरानी हास्य भूमिकाओं तक ही बंधे रहे, जहां वह अक्सर नायक के दोस्त की भूमिका निभाते थे.
उन्हें सबसे पहले 'आज की ताज़ा ख़बर' में उनकी भूमिका के लिए पहचाना गया. उनकी एक और यादगार भूमिका 'छोटी सी बात' में एक ऐसे शख्स की है जो एक महिला को प्रभावित करने के लिए नायक से प्रतिस्पर्धा करता है.
1967 में फिल्मी सफर की शुरुआत
असरानी ने हिंदी सिनेमा में अपने करियर की शुरुआत 1967 में आई फ़िल्म 'हरे कांच की चूड़ियां' से की और उसके बाद कई फ़िल्मों में अभिनय किया. ऋषिकेश मुखर्जी उनके गुरु और मार्गदर्शक थे और उन्होंने हमेशा उन्हें अपनी फ़िल्मों में भूमिकाएं दीं. उन्होंने गुलज़ार की कई फ़िल्मों जैसे 'मेरे अपने', 'कोशिश' और 'परिचय' में भी अभिनय किया.
असरानी की अन्य लोकप्रिय भूमिकाएं 'बावर्ची', 'अभिमान', 'दो लड़के दोनो कड़के' और 'बंदिश' जैसी फिल्मों में थीं.
'चुपके-चुपके', 'रफू चक्कर', 'बालिका बधू', 'हीरालाल पन्नालाल', 'पति पत्नी और वो' भी ऐसी फिल्में हैं, जिनमें असरानी ने अपनी बेहतरीन कॉमिडी टाइमिंग से प्रशंसकों को प्रभावित किया.
अक्षय कुमार के साथ असरानी
प्रियदर्शन के साथ कीं कई फिल्में
उन्होंने 2000 के दशक में फिल्मकार प्रियदर्शन के साथ उनकी कई फिल्मों में काम किया. इनमें 'हेरा फेरी', 'चुप चुप के', 'हलचल', 'भूल भुलैया' और 'कमाल धमाल मालामाल' जैसी निर्देशक की कई कॉमेडी फिल्म शामिल हैं.
कुछ फ़िल्मों में उन्होंने अपनी लोकप्रिय छवि के विपरीत जाकर नकारात्मक भूमिकाएं भी निभाईं, जैसे 'चैताली' और 'कोशिश' में. उन्होंने 'चला मुरारी हीरो बनने' नामक फ़िल्म का निर्देशन भी किया.