Rajasthan Vande Mataram Mandatory: राष्ट्रगीत वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ के अवसर पर राजस्थान सरकार के विद्यालयी शिक्षा, संस्कृत शिक्षा एवं पंचायती राज विभाग के सभी कार्यालयों में कल यानी 7 नवंबर (शुक्रवार) से प्रतिदिन सुबह वंदे मातरम के सामूहिक गायन से कार्य दिवस की शुरुआत होगी. वहीं दफ्तर का काम पूरा होने के बाद शाम को राष्ट्रगान 'जन गण मन' के सामूहिक गान के बाद कर्मचारी घर जा सकेंगे. निर्देश में कहा गया है कि राष्ट्रीय गत के बाद ही उपस्थिति दर्ज की जाएगी यानी एटेंडेंस दर्ज होगा.
शिक्षा एवं पंचायती राज मंत्री मदन दिलावर के निर्देश पर यह निर्णय राष्ट्रगीत की 150वीं वर्षपूर्ति के अवसर पर लिया गया है. प्रदेश के सभी कार्यालयों में प्रतिदिन कर्मियों की उपस्थिति केवल वंदे मातरम के सामूहिक गायन के बाद ही दर्ज की जाएगी. मंत्री दिलावर ने कहा कि इस निर्णय से देशभक्ति की भावना मजबूत होगी और कर्मचारियों में समयपालन और अनुशासन की भावना विकसित होगी.
स्कूलों के लिए भी निर्देश
शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के निर्देश पर माध्यमिक शिक्षा निदेशालय बीकानेर ने भी राज्य के सभी विद्यालयों में वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ पर राष्ट्रभक्ति से जुड़े विविध कार्यक्रम आयोजित करने के आदेश जारी किए हैं.
निर्देशों के अनुसार, वंदे मातरम गीत के रचयिता बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने 1875 में यह अमर गीत लिखा था, जिसने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जन-जन में देशभक्ति की भावना को प्रबल किया. इसी प्रेरणा को जनसामान्य तक पहुंचाने के उद्देश्य से 7 नवंबर 2025 से 7 नवंबर 2026 तक चार चरणों में स्मरणोत्सव कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे.
चार चरणों में आयोजन होंगे
07 से 14 नवंबर 2025 तक – वंदे मातरम स्मरणोत्सव का उद्घाटन.
19 से 26 जनवरी 2026 तक – गणतंत्र दिवस के अवसर पर विशेष कार्यक्रम.
07 से 15 अगस्त 2026 तक – स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आयोजन.
01 से 07 नवंबर 2026 तक – स्मरणोत्सव का समापन समारोह.
राज्य, जिला एवं विद्यालय स्तर पर होंगे कार्यक्रम
निदेशालय के अनुसार राज्य, जिला और ब्लॉक स्तर पर जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों, विद्यार्थियों, शिक्षकों एवं अभिभावकों की भागीदारी से वंदे मातरम गीत पर आधारित वाद-विवाद प्रतियोगिता, निबंध लेखन, देशभक्ति गीत, सांस्कृतिक कार्यक्रम और रैलियों का आयोजन किया जाएगा. विद्यालयों में विशेष प्रार्थना सभाओं के दौरान वंदे मातरम गीत के अर्थ, ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और स्वतंत्रता संग्राम में इसकी भूमिका पर भी चर्चा की जाएगी.
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