Rajasthan Assembly: राजस्थान में ग्राउंड वाटर संरक्षण के लिए बनेगा प्राधिकरण, नियम तोड़ने पर सजा और जुर्माने का प्रावधान

Rajasthan Ground Water Authority Bill: इस विधेयक के पारित होने पर मौजूदा और नए ट्यूबवेल के लिए भी प्राधिकरण से अनुमति लेनी जरूरी होगी. नियमों को उल्लंघन करने पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है.

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राजस्थान विधानसभा में आज राजस्थान ग्राउंड वाटर अथॉरिटी बिल 2024 पारित हो सकता है. (सांकेतिक तस्वीर)

Rajasthan News: राजस्थान में ग्राउंड वाटर कंजर्वेशन (Groundwater Conservation) और मैनेजमेंट को प्रभावी बनाने के लिए राजस्थान ग्राउंड वाटर (कंजर्वेशन एंड मैनेजमेंट) अथॉरिटी बिल 2024 पर बुधवार को विधानसभा में बहस होगी. इस विधेयक के पारित होने की संभावना है, क्योंकि प्रवर समिति की रिपोर्ट के बाद इसमें आवश्यक संशोधन किए गए हैं. विधेयक में ग्राउंड वाटर के अवैध दोहन पर सख्त प्रावधान किए गए हैं, जिनमें बिना अनुमति ग्राउंड वाटर यूज करने पर 6 महीने तक की कैद और 1 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान शामिल है.

नए ट्यूबवेल के लिए अब अनुमति जरूरी

विधेयक के अनुसार पेयजल, घरेलू, औद्योगिक, वाणिज्यिक या सिंचाई काम के लिए ग्राउंड वाटर का इस्तेमाल करने से पहले प्राधिकरण से अनुमति लेना अनिवार्य होगा. हालांकि, कृषि कार्यों को इस प्रावधान से छूट दी गई है. मौजूदा और नए ट्यूबवेल के लिए भी प्राधिकरण से स्वीकृति लेनी होगी.

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ग्राउंड वाटर के लिए अब देने होंगे पैसे

प्रस्तावित प्राधिकरण ग्राउंड वाटर के इस्तेमाल पर कंट्रोल रखने के साथ-साथ इसके लिए शुल्क निर्धारण भी करेगा. यह शुल्क अर्थव्यवस्था, दक्षता, समानता और स्थिरता के सिद्धांतों के आधार पर तय किया जाएगा. सरकार की मंजूरी के बाद इसे समय-समय पर संशोधित भी किया जा सकेगा.

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अपराध करने पर 50 हजार का जुर्माना

प्राधिकरण के अस्तित्व में आते ही नए नियम लागू हो जाएंगे. यदि कोई व्यक्ति या संस्था इन नियमों का उल्लंघन करती है, तो पहली बार अपराध करने पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगेगा. दोबारा उल्लंघन करने पर 6 महीने तक की सजा या 1 लाख रुपये तक का जुर्माना अथवा दोनों दंडित किए जा सकते हैं.

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दो विधायक भी होंगे प्राधिकरण का हिस्सा

भूजल उपयोग के मामलों में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए प्रस्तावित प्राधिकरण में दो विधायकों को भी शामिल किया जाएगा. यह प्राधिकरण राज्य में मौजूदा और नए ट्यूबवेल की निगरानी करेगा और जरूरत के अनुसार नियमन लागू करेगा.

26 जुलाई को सदन में हुआ था पेश

जलदाय मंत्री कन्हैयालाल ने 26 जुलाई को इस विधेयक को विधानसभा में पेश किया था, जिसे प्रवर समिति को भेजा गया था. अब इसमें संशोधन कर इसे अंतिम रूप दिया गया है, जिसके बाद विधेयक के पारित होने का रास्ता साफ हो गया है.

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